किसानों की दूरी के कारण उपार्जन प्रभावित
किसानों की सरकारी खरीदी से दूरी बनाने के पीछे कई अहम कारण सामने आए हैं। सबसे प्रमुख कारण यह है कि समर्थन मूल्य का भुगतान पहले बकाया ऋण की वसूली में समाहित हो जाता है, जिससे किसानों को नकद हाथ में नहीं मिल पाता। इसके चलते वे खुले बाजार में सीधे व्यापारियों को गेहूं बेचकर तुरंत नकद राशि प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा खरीदी केन्द्रों तक फसल लाने में लगने वाला भाड़ा, हम्माली और समय भी किसानों के लिए एक बोझ बनता जा रहा है। यही वजह है कि कई किसान बिना सरकारी प्रक्रिया के सीधे खुले बाजार में ही उपज बेच देना अधिक लाभकारी समझ रहे हैं।
200 किसानों ने कराई स्लॉट बुकिंग, 190 ने की बिक्री
हालांकि अब तक 200 किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए स्लॉट बुक कराए हैं, जिनमें से 190 किसानों ने गेहूं बेच भी दिया है। लेकिन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि किसानों की भारी संख्या अब भी सरकारी खरीदी से दूर है। कुछ किसानों ने यह भी शिकायत की है कि खरीदी केन्द्रों में तैनात सर्वेयर उपज की गुणवत्ता को लेकर अनावश्यक आपत्ति उठाते हैं, जिससे उन्हें पूरी कीमत नहीं मिल पाती। यह बात भी किसानों में रोष और निराशा का कारण बन रही है।
यूपी के मुनाफाखोर व्यापारी हुए सक्रिय
इस वर्ष उत्तर प्रदेश में सरकारी सख्ती के कारण वहां के मुनाफाखोर व्यापारी मध्यप्रदेश की ओर रुख कर चुके हैं। जिले की सीमा पर प्रशासन द्वारा इस बार कोई नाके या चेक पोस्ट नहीं बनाए जाने से यूपी के व्यापारी सीधे किसानों के घर तक पहुंचकर उपज खरीद रहे हैं। बताया जा रहा है कि यूपी सरकार ने राज्य के भीतर निजी व्यापारियों द्वारा गेहूं खरीदी पर प्रतिबंध लगाया है, जिसके चलते ये व्यापारी अब छतरपुर जिले में सक्रिय हो गए हैं। इसका सीधा असर राज्य सरकार की समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी प्रक्रिया पर पड़ रहा है।
66 खरीदी केन्द्रों में नहीं खुला खाता
जिले में कुल 80 समर्थन मूल्य खरीदी केन्द्र बनाए गए हैं, लेकिन इनमें से अब तक 66 केन्द्रों में खरीदी का खाता भी नहीं खुल पाया है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकारी खरीदी को लेकर किसानों के मन में भ्रम और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, जिला प्रशासन का दावा है कि खरीदी केन्द्रों पर किसानों के लिए सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, जिनमें पेयजल, छाया, उपज की सफाई की व्यवस्था और भुगतान की ईपीओ प्रक्रिया शामिल है।
इनका कहना है
खरीदी के बाद ईपीओ जारी कर दी जाएगी, जिससे किसानों को आसानी से उनके खाते में भुगतान मिलेगा। केन्द्रों पर सभी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
राजेश साकल्ले, जिला प्रबंधक, नान