8वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
चौंसठ योगिनी मंदिर आठवीं शताब्दी में चंदेल शासकों द्वारा ग्रेनाइट पत्थरों से बनवाया गया था। यह मंदिर खास तौर पर तांत्रिक विद्या का एक केंद्र माना जाता है, जहां ढाई बाई चार के आयताकार आकार में चौंसठ छोटी-छोटी मडिय़ां स्थित हैं, जिनमें योगिनियों का वास है। यह मंदिर भारत में चौंसठ योगिनी मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। खजुराहो के इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, और अब इसे यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल करने के लिए प्रस्तावित किया गया है।
मंदिर के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया
मंदिर के पत्थरों में हो रही दरारों और धसकने की समस्या को लेकर पुरातत्व विभाग ने इसका जीर्णोद्धार कार्य शुरू कर दिया है। मंदिर के छोटे-छोटे पत्थरों की नंबरिंग की जा रही है ताकि उन्हें उसी स्थान पर पुन: स्थापित किया जा सके। साथ ही, जिन पत्थरों में दरारें आ गई हैं, उन्हें प्राचीन पद्धति के लाइम मोर्टर से भरा जा रहा है, ताकि मंदिर की संरचना को फिर से मजबूत और सुरक्षित किया जा सके। यह प्रक्रिया मंदिर की उम्र को हजारों साल तक बढ़ा सकती है, जिससे इस ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित किया जा सकेगा।
पुरात्तव विभाग के अधिकारी बोले
अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. शिवकांत वाजपेयी ने बताया चौंसठ योगिनी मंदिर खजुराहो का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिर है, जिसे संरक्षित करना हमारी प्राथमिकता है। पिछले कुछ समय से इस मंदिर के पत्थर खिसकने लगे थे, जिससे इसका अस्तित्व खतरे में था। हमने इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए विशेष कदम उठाए हैं और जल्द ही इसे फिर से अपने पुराने स्वरूप में देखा जाएगा। चौंसठ योगिनी मंदिर पश्चिम मंदिर समूह के नए गेट के पास स्थित है और यह हर पर्यटक के लिए आकर्षण का केंद्र है। पिछले कुछ वर्षों में मंदिर की स्थिति बिगड़ती जा रही थी, लेकिन अब इसे संरक्षित और पुनर्निर्मित करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
पत्रिका व्यू
खजुराहो का चौंसठ योगिनी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत की प्राचीन वास्तुकला और संस्कृति का प्रतीक भी है। मंदिर का जीर्णोद्धार न केवल इसकी संरचना को बचाने का काम करेगा, बल्कि यह खजुराहो की विश्व धरोहर को भी संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद की जा रही है कि इस मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद यह न केवल क्षेत्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का एक प्रमुख आकर्षण बनेगा और खजुराहो की धरोहर को नई पहचान मिलेगी।