दो शिफ्टों में 15 कर्मचारी करते हैं काम
इस केंद्र में दो शिफ्टों में 15 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जो विभिन्न प्रकार के कचरे का वर्गीकरण करते हैं। यहां स्थापित एमआरएफ (मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) यूनिट कचरे में से प्लास्टिक, कांच और अन्य रिसाइकल योग्य वस्तुओं को अलग करती है। इन्हें दोबारा उपयोग के लायक बनाया जाता है। टायरों के कचरे से गमले बनाए जा रहे हैं, वहीं प्लास्टिक और लकड़ी के कबाड़ से टेबल और कुर्सियां तैयार की गई हैं।
कबाड़ से बना पार्क बना आकर्षण का केंद्र
नगर पालिका ने न्यू कॉलोनी क्षेत्र में कबाड़ की सामग्री से सुंदर पार्क तैयार किया है। यह पार्क पहले भी मौजूद था, लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 में अच्छी रैंकिंग लाने के लिए इसे नया स्वरूप दिया गया है। इस प्रयास से शहरवासियों को न सिर्फ स्वच्छ वातावरण मिला है, बल्कि जागरूकता का एक नया संदेश भी गया है।
गीले और सूखे कचरे से बन रही खाद
नगर पालिका के सब इंजीनियर नीतेश चौरसिया बताते हैं कि शहर से दो प्रकार का कचरा एकत्रित किया जाता है गीला (रसोई, सब्जी, फल, भोजन आदि) और सूखा (प्लास्टिक, कागज, धातु आदि)। गीले कचरे से वर्मी कंपोस्ट और जैविक खाद तैयार की जाती है। तीन माह में 192 क्विंटल खाद बनती है, जिसे 500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों को बेचा जाता है, हालांकि मांग कम होने से बिक्री में रुकावट आती है।सीएनडी वेस्ट का भी सदुपयोग
निर्माण कार्यों से निकलने वाले मलबे (सीएनडी वेस्ट) को केंद्र लाकर उसे पुराव सामग्री के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इससे पर्यावरणीय नुकसान को रोका जा रहा है और सडक़ों व निर्माण कार्यों में इसका पुन: उपयोग हो रहा है। नगर पालिका तीन आर— के सिद्धांत पर काम कर रही है, जिससे न केवल कचरे की मात्रा कम हो रही है, बल्कि पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है। इससे कचरा मूल्यवान संसाधन में बदला जा रहा है।