डॉक्टरों की भारी कमी, ओपीडी पर बोझ
हर दिन अस्पताल की ओपीडी में एक हजार से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं, लेकिन उनके इलाज के लिए केवल 62 डॉक्टर उपलब्ध हैं। इनमें क्लास-1 श्रेणी के 34 और क्लास-2 श्रेणी के 27 डॉक्टर हैं। अस्पताल में वर्तमान जरूरतों के अनुसार 15 क्लास-1 और 20 से 30 क्लास-2 डॉक्टरों की और आवश्यकता बताई जा रही है।
ऑपरेशन थिएटर भी सीमित, इलाज में देरी
अस्पताल में दो ऑपरेशन थिएटर मौजूद हैं, लेकिन केवल एक ही उपयोग में लाया जा रहा है। ऐसे में एक साथ दो ही सर्जरी की जा सकती है। मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। स्टाफ की कमी के कारण ऑपरेशन का समय और भी लंबा खिंच जाता है। अस्पताल में केवल पांच सर्जन हैं, वहीं गायनिक और हड्डी रोग विशेषज्ञों की भारी कमी है।
डॉक्टरों की गैरहाजिरी और निजी प्रैक्टिस बड़ा मुद्दा
जिला अस्पताल में न केवल डॉक्टरों की संख्या कम है, बल्कि जो डॉक्टर कार्यरत हैं वे भी ओपीडी में समय पर नहीं बैठते। प्रशासन के कई बार नोटिस देने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है कि अस्पताल के कई डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में अधिक रुचि रखते हैं। उनके या उनके परिजनों के नर्सिंग होम और निजी अस्पताल भी शहर में संचालित हो रहे हैं।
स्टाफ की स्थिति भी चिंताजनक
अस्पताल में 168 नर्सें कार्यरत हैं, जिनमें 32 संविदा पर हैं। वहीं आउटसोर्सिंग के तहत 82 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमें 30 नियमित और बाकी सभी संविदा पर नियुक्त हैं। स्टाफ की संख्या कम होने के चलते मरीजों को पंक्तियों में खड़ा रहना पड़ता है और उन्हें समय पर सेवा नहीं मिल पा रही।
इनका कहना है
मरीजों की संख्या को देखते हुए बेड बढ़ाए गए हैं, ताकि कोई भी मरीज जमीन पर न लेटे। लेकिन जब तक डॉक्टर और स्टाफ की संख्या में वृद्धि नहीं होती, संसाधनों का विस्तार नहीं होता, तब तक बेहतर इलाज के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. आरपी गुप्ता, सीएमएचओ