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छिंदवाड़ा

निरोगी काया अभियान के तहत 19 दिन में महज 14 फीसद स्क्रीनिंग

तीस वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की शुगर, बीपी व फैटी लीवर डिसीज की होनी है जांच

छिंदवाड़ाMar 11, 2025 / 07:30 pm

mantosh singh

निरोगी काया अभियान की धीमी रफ्तार जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रही है। एक अनुमान के अनुसार 40 दिनों में जिले में करीब नौ लाख लोगों की स्क्रीनिंग कर जांच की जानी है। जबकि अभी तक यानी 19 दिनों में महज 14 फीसद लोगों की ही स्क्रीनिंग हो पाई। इसकी वजह प्रचार-प्रसार का अभाव और जिम्मेदार अधिकारियों की मॉनिटरिंग न करना माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रव्यापी निरोगी काया अभियान के अंतर्गत 20 फरवरी से 31 मार्च 2025 तक 30 वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्तियों के ब्लड शुगर, बीपी और नॉन एल्कोहोलिक फैटी लीवर डिसीज की जांच की जानी है। जिले में करीब नौ लाख लोग इस दायरे में आते हंै। जमीनी स्तर पर यह काम सीएचओ, एएनएम और आशा कार्यकर्ता को करना है, जिसके बाद ऑनलाइन एंट्री की जानी है। लेकिन वर्तमान में इस अभियान की गति काफी धीमी है। अभी तक महज 1,92,154 लोगों की ही स्क्रीनिंग हो पाई है। जबकि 21 दिन ही शेष बचे हैं।
30 वर्ष और उससे अधिक उम्र के हर व्यक्ति का फ्री हेल्थ चेकअप किया जाना है। इसके तहत शुगर, हाई ब्लड प्रेशर और फैटी लीवर जैसी बीमारियों की विशेष स्क्रीनिंग की जानी है। इसके साथ ही हर व्यक्ति का हेल्थ डाटा बैंक तैयार किया जाना है। जांच रिपोर्ट को 24 घंटे के भीतर एनसीडी पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इस अभियान में घर-घर जाकर लोगों की जांच करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन 19 दिन बीत जाने के बाद भी ज्यादातर स्थानों पर टीम नहीं पहुंची है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार निरोगी काया अभियान के तहत 20 फरवरी से अब तक 1,92,154 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। इसमें हाईपरटेंशन के 20852, डायबिटीज के 19937 एवं नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर के 7377 पीडि़त मिले हैं। इसके बाद जांच कर हाईपरटेंशन के 472, डायबिटीज के 330 एवं हाईपरटेंशन व डायबिटीज दोनों के 219 तथा नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर के 129 मरीजों को उपचार दिया गया।
अभियान के तहत ब्लड शुगर टेस्ट से डायबिटीज का पता, बीपी मशीन से हाई ब्लड प्रेशर की जांच और अल्ट्रासाउंड या अन्य टेस्ट से लीवर में फैटी स्थिति का पता किया जा रहा है। हालांकि, इन सुविधाओं का सही उपयोग न हो पाने और प्रचार-प्रसार की कमी के कारण परिणाम बहुत कम आ रहे हैं। स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों का आयोजन व्यापक स्तर पर किया जाना चाहिए, ताकि हर व्यक्ति की जांच सुनिश्चित की जा सके।

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