पहली बार कब बजी थी घंटी
लॉर्ड्स में किसी भी टेस्ट से पहले घंटी बजाने की परंपरा 2007 से शुरू हुई थी। सचिन से पहले सुनील गावस्कर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज भारतीय इस परंपरा को निभा चुके हैं। मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने कहा था कि तेंदुलकर लॉर्ड्स में पहली बार उसी दिन घंटी बजाएंगे, जिस दिन एमसीसी संग्रहालय में कलाकार स्टुअर्ट पियर्सन राइट द्वारा बनाए गए उनके चित्र अनावरण किया जाएगा। इसके बाद संस्था ने कहा कि ब्रिटिश कलाकार स्टुअर्ट पियर्सन राइट द्वारा बनाया गया तेंदुलकर का चित्र संग्रहालय में ही रहेगा और इस साल के अंत में उसे पवेलियन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। साल 2013 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले तेंदुलकर को सर्वकालिक महानतम बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। मुंबई के इस दाएं हाथ के बल्लेबाज ने तीनों प्रारूपों में 34,357 अंतर्राष्ट्रीय रन बनाए हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाने वाले वह एकमात्र बल्लेबाज हैं। लॉर्ड्स टेस्ट की बात करें तो दोनों ही टीमें गेंदबाजी में बड़े बदलाव के साथ उतरी हैं। इंग्लैंड ने जोफ्रा आर्चर को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया है। आर्चर ने चार साल बाद टेस्ट टीम में वापसी की है। इंग्लैंड ने जोश टंग को प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा है।
क्या है इसके पीछी की मान्यता
क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले इस मैदान में टेस्ट मैच से पहले घंटी बजाने की परंपरा बड़ी खास है! ये रिवाज 2007 में शुरू हुआ था। हर टेस्ट मैच के पहले दिन, खेल शुरू होने से ठीक 5 मिनट पहले, लॉर्ड्स के पवेलियन में “बॉलर्स बार” के बाहर लगी घंटी को कोई मशहूर हस्ती, जैसे क्रिकेटर, खेल प्रशासक, या कोई बड़ी स्पोर्ट्स पर्सनैलिटी बजाती है। इसे “रिंगिंग द बेल” कहते हैं, और ये एक तरह से मैच की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है। इसका मकसद लॉर्ड्स की समृद्ध परंपराओं को सम्मान देना और क्रिकेट के इस पवित्र मैदान की गरिमा को बढ़ाना है। आज, 10 जुलाई 2025 को, भारत-इंग्लैंड तीसरे टेस्ट की शुरुआत सचिन तेंडुलकर ने इस ऐतिहासिक घंटी को बजाकर की, और साथ ही लॉर्ड्स के म्यूजियम में उनकी पोर्ट्रेट का उद्घाटन भी हुआ।