scriptMS Dhoni IPL Auction: ललित मोदी नहीं चाहते थे धोनी पर लगे बोली! पहले आईपीएल ऑक्शन में ठुकरा दिया था बड़ा ऑफर | ms dhoni in ipl auction when lalit modi did not want to bid on mahendra singh dhoni as marque player like sachin sehwag yuvraj | Patrika News
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MS Dhoni IPL Auction: ललित मोदी नहीं चाहते थे धोनी पर लगे बोली! पहले आईपीएल ऑक्शन में ठुकरा दिया था बड़ा ऑफर

IPL 2008 के पहले संस्करण से पहले ऑक्शन में सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह और सौरव गांगुली जैसे दिग्गजों को आइकल प्लेयर बनाया गया। हालांकि 2007 में टी20 वर्ल्डकप जिताकर फेम बनाने वाले धोनी पर ऑक्शन में बोली लगी।

भारतApr 29, 2025 / 10:03 pm

Vivek Kumar Singh

MS DHONI IPL Auction
MS Dhoni in IPL 2008 Auction Story: 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत हुआ, जिसने क्रिकेट की दुनिया में एक नया इतिहास रच दिया। यह वो साल था जब क्रिकेट ने न सिर्फ खेल के मैदान पर, बल्कि व्यावसायिक मंच पर भी अपनी ताकत दिखाई। उस समय भारतीय क्रिकेट टीम के युवा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी चमकती लोकप्रियता के शिखर पर थे। 2007 में भारत को विश्व चैंपियन बनाने के बाद धोनी न केवल एक स्टार थे बल्कि हर युवा के आइडल बन चुके थे। लेकिन जब आईपीएल 2008 की नीलामी की बात आई, तो धोनी ने एक ऐसा फैसला लिया, जिसने न सिर्फ उनके करियर को बल्कि आईपीएल के भविष्य को भी एक नई दिशा दी।
आईपीएल की नींव रखने वाले ललित मोदी ने टूर्नामेंट को एक शानदार मंच बनाने का सपना देखा। इसके लिए उन्होंने एक ऑक्शन सिस्टम की शुरुआत की, जिसमें दुनिया भर के खिलाड़ी फ्रेंचाइजी द्वारा खरीदे जाने वाले थे। उस समय आईपीएल में आठ टीमें थीं और प्रत्येक टीम को 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 20 करोड़ रुपये) का बजट दिया गया था। इस दौरान टीम इंडिया के कुछ दिग्गजों पर बोली लगाना या कहें कि उन्हें खरीदना या बेचना अच्छा नहीं लगता तो ललित मोदी ने नई तरकीब सुझाई और कुछ खिलाड़ियों को “आइकन प्लेयर” का दर्जा दिया गया, ताकि वे अपनी होम टीम का प्रतिनिधित्व कर सकें और स्थानीय प्रशंसकों का समर्थन हासिल कर सकें।

आइकन प्लेयर को मिलने वाले फायदें

आइकन प्लेयर को उनकी टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी से 15% अधिक राशि मिलती थी। सचिन तेंदुलकर (मुंबई इंडियंस), वीरेंद्र सहवाग (दिल्ली कैपिटल्स), सौरव गांगुली (कोलकाता नाइट राइडर्स) और युवराज सिंह (पंजाब किंग्स) जैसे खिलाड़ियों को यह दर्जा मिला। लेकिन धोनी, जो रांची से थे और रांची उस समय आईपीएल का हिस्सा नहीं था, उनके लिए स्थिति अलग थी। इसके बावजूद ललित मोदी ने धोनी को आइकन प्लेयर बनने का मौका दिया। यह प्रस्ताव उन 3 फ्रेंचाइजियों (चेन्नई सुपर किंग्स, राजस्थान रॉयल्स, और हैदराबाद डेक्कन चार्जर्स) के लिए था, जिनके पास पहले से कोई आइकन प्लेयर नहीं था। यानी कोई इन 3 शहरों से बड़ा स्टार नहीं था।
अगर धोनी इस ऑफर को चुनते तो उन्हें नीलामी में जाने की जरूरत नहीं थी। उन्हें एक तय राशि के साथ-साथ टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी से 15% अधिक राशि मिलती। लेकिन धोनी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उनके इस फैसले ने सबको हैरान कर दिया। हालांकि धोनी जानते थे कि 2007 टी20 वर्ल्ड कप की जीत के बाद उनकी कीमत आसमान छू रही थी। उन्होंने सोचा कि नीलामी में जाने से उनकी असली कीमत का पता चलेगा, और यह उनके लिए एक चुनौती थी।
20 फरवरी 2008 को पहली आईपीएल ऑक्शन का आयोजन हुआ। उनकी बेस प्राइस 400,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 1.6 करोड़ रुपये) थी। नीलामी शुरू हुई, तो हर टीम की नजर धोनी पर टिक गई। चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच एक जबरदस्त जंग देखने को मिली। बोली 900,000 डॉलर तक पहुंची, फिर 1 मिलियन डॉलर, और आखिरी में 1.5 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़ रुपये) में चेन्नई सुपर किंग्स ने धोनी को अपना बनाया। महेंद्र सिंह धोनी उस नीलामी के सबसे महंगे खिलाड़ी बन गए।

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