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एमपी के 87 स्कूलों पर लगेगा ताला, मापदंडों पर खरे नहीं उतरे विद्यालय!

recognition cancelled: मध्य प्रदेश में 584 निजी स्कूलों को मापदंड पूरे करने पर मान्यता मिल गई, लेकिन मापदंड पूरा नहीं करने वाले बाकी स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी गई। अब इन स्कूलों का भविष्य कलेक्टर के हाथ में है।

देवासApr 21, 2025 / 01:05 pm

Akash Dewani

recognition cancelled of 87 schools of dewas mp
recognition cancelled: आवश्यक दस्तावेजों की कमी, भवन, मैदान का अभाव, शिक्षकों की कमी और योग्यता की कमी, छात्रों की जानकारी ऑनलाइन अपडेट नहीं, फायर सेफ्टी जैसे मान्यता के मुख्य मापदंड पर जिले के कई निजी स्कूल खरे नहीं उतरे हैं। इसके चलते बीआरसी के बाद डीपीसी स्तर पर भी 87 स्कूलों की मान्यता को रद्द कर दिया गया है। अब ये स्कूल कलेक्टर को मान्यता के लिए आवेदन देंगे।

671 स्कूलों का आया था आवेदन

धार जिले में 671 स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन दिए थे जिसका बीआरसी ने 31 मार्च तक निरीक्षण किया था। जिन स्कूलों में कमियां मिली थी उनकी मान्यता रद्द करने को लेकर बीआरसी ने अनुशंसा की थी। इसके बाद डीपीसी स्तर पर मान्यता के मापदंडों को परखा गया, लेकिन उसमें स्कूलों में कमियां मिली। जिस पर डीपीसी स्तर पर भी स्कूलों की मान्यता रद्द हो गई है।

आधार सेंटरों की कमी के चलते भी प्रगति नहीं

जिले में एक क्लिक पर विद्यार्थियों की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने के मकसद से 12 अंकों का अपार आइडी (Apaar ID) बनाया जा रहा है। इसमें विद्यार्थियों की संपूर्ण जानकारी होगी, लेकिन अपार में आधार अपडेशन को लेकर दिक्कतें आ रही है। कई बच्चों के आधार अपडेट नहीं हो रहे हैं, ऐसे में उनकी अपार आइडी नहीं बन रही हैं, क्योंकि शहर में सेंटरों में आधार सेंटरों की संख्या भी कम हैं। विभाग भी उदासीनता बरत रहा है, इससे लक्ष्य पूर्ति नहीं हो पा रही है।
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टाइम लाइन बेअसर

कई बार टाइम लाइन दी गई, लेकिन लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। पहले दिसंबर 2025 तक सभी के अपार आइडी बनाए जाने थे, लेकिन कार्य पूरा नहीं हुआ तो 31 मार्च की टाइम लाइन तय की गई। अब अप्रैल तक कार्य पूरा करने की प्लानिंग की गई है। हालांकि अब कम प्रगति को देखकर शिक्षक भी मदद कर आधार अपडेट आइडी में बनाने में मार्गदर्शन करेंगे। जिले में अब तक सिर्फ प्रतिशत विद्यार्थियों की ही आइडी बनी है। जिले में 3 लाख 27 हजार 421 आइडी बनना है, लेकिन अब तक 2 लाख 6 हजार 734 बनाई जा सकी है। आइडी बनाने का कार्य स्कूलों को दिया गया है, जो यू डाइस प्लस पोर्टल के जरिए बनाई जा रही है। हालांकि दो दिन से तकनीकी दिक्कतों से चलते पोर्टल में खुल नहीं रहा हैं।

मुख्य रूप से ये दिक्कतें…

  • स्कूल और आधार में दर्ज नार्मो में अंतर आ रहा है
  • स्कूल में दर्ज जन्म तारीख और आधार में लिखी जन्म तिथि में अंतर
  • कई स्टूडेंट के आधार अपडेट नहीं हैं
  • शहर में आधार अपडेट करवाने के लिए सेंटरों की कमी

इसलिए आ रही दिक्कतें

अपार आइडी यू-डाइस प्लस पोर्टल के डाटा के आधार पर बन रहा है। पोर्टल और आधार कार्ड की जानकारी के डालने के बाद आईडी बनता है, लेकिन पोर्टल और आधार कार्ड की जानकारी में अड़चन आने से आइडी जनरेट नहीं हो रही है, जैसे स्टूडेंट का नाम, माता-पिता का नाम, सरनेम में बिंदी का अंतर आ रहा है, या फिर स्पेलिंग आधार और पोर्टल के डाटा में अलग अलग है। ऐसी स्थिति में अपार आइडी जनरेट नहीं होगी। ऐसी समस्याओं की वजह से अब तक 2 हजार आइडी रिजेक्ट हो चुकी है। हालांकि लोग आधार अपडेट करवाना चाहते हैं, लेकिन आधार सेंटरों पर वेटिंग चल रही है।

ऐसे होती है स्कूलों की मान्यता की प्रक्रिया

स्कूल द्वारा आवेदन पोर्टल पर लॉक करने के बाद जिले के बीआरसी स्कूलों का निरीक्षण कर मान्यता के मापदंडों को परखते हैं। स्कूलों की कमियां और मापदंडों को पूरा कर रिपोर्ट तैयार डीपीसी स्तर पर भेज देते हैं। डीपीसी स्तर पर वैरिफिकेशन कर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है। जिसमें कमियां मिलने पर मान्यता रद्द कर दी जाती है, जबकि मापदंड पूरा करने वाले स्कूलों को मान्यता मिल जाती है। मान्यता रद्द वाले स्कूलों के पास कलेक्टर के पास अपील करने की अंतिम अवसर होता है।
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आवेदनों में यह कमियां आई सामने

  • स्कूल भवन के कागजात अधूरे
  • अलग-अलग शौचालय नहीं होना
  • पीने के पानी की सुविधा का अभाव
  • प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होना
  • आरटीई एक्ट के नियमों का पालन नहीं करना

ये है मान्यता के मुख्य मापदंड

  • रजिस्टर्ड किरायानामा
  • प्राथमिक शाला के लिए 7 कक्षाएं और 7 शिक्षक अनिवार्य
  • खेल सामग्री और खेल मैदान होना चाहिए,
  • न्यूनतम 2400 से 4 हजार स्क्वेयर फीट साइज का खेल मैदान हो
  • छात्रों की संख्या पर खेल मैदान का साइज निर्धारित हो
  • सुरक्षा के लिहाज से स्कूल में अग्निशमन यंत्र होना चाहिए।
  • बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय हो।
  • लाइब्रेरी की सुविधा होना चाहिए।

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