scriptKhatu Shyam Mela 2025: लगने वाला है खाटू श्याम लक्खी मेला, जानिए इसकी विशेषता और पौराणिक कथा | Khatu Shyam Mela 2025 Start Tuesday 11 March Lakkhi fair Sikar Rajasthan know Khatu Shyam Lakkhi Mela Mythological Story | Patrika News
धर्म-कर्म

Khatu Shyam Mela 2025: लगने वाला है खाटू श्याम लक्खी मेला, जानिए इसकी विशेषता और पौराणिक कथा

Khatu Shyam Mela 2025: खाटू श्याम जी का फाल्गुन लक्खी मेला भक्तों के लिए आस्था, भक्ति, और समर्पण का प्रतीक है, जिसमें शामिल होकर वे आध्यात्मिक शांति और बाबा श्याम का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

जयपुरJan 31, 2025 / 10:02 am

Sachin Kumar

Khatu Shyam Mela 2025

खाटू श्याम लक्खी मेला 2025

Khatu Shyam Mela 2025: राजस्थान के सीकर जिले में सीकर शहर से करीब 45 किमी दूर खाटू गांव में खाटू श्याम जी का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां हर रोज हजारों की संख्या में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। धार्मिक मान्यता है कि यहां जो लोग दर्शन करने लिए लिए आते हैं। उनके जीवन की सभी परेशानी दूर होती हैं।

कब से शुरू होगा लक्खी मेला

खाटू श्याम जी का प्रसिद्ध फाल्गुन लक्खी मेला इस वर्ष 28 फरवरी 2025 से शुरू होकर 11 मार्च 2025 तक चलेगा। हर साल फाल्गुम मास में इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले को दौरान लाखों श्रद्धालु बाबा खाटू श्याम के दर्शन के लिए आते हैं।

मेले की खास बात

फाल्गुन लक्खी मेले के दौरान खाटू श्याम जी के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, जागरण, और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। श्रद्धालु श्याम कुंड में पवित्र स्नान करते हैं। जिसके बारे में मान्यता है कि इसमें उपचार करने की शक्तियां हैं। मेले में एक भव्य जुलूस भी निकाला जाता है। जिसमें खाटू श्याम जी की मूर्ति को रथ पर सवार कर गांव के चारों ओर घुमाया जाता है।

भक्तों की आस्था

खाटू श्याम जी को हारे का सहारा भी कहा जाता है। क्योंकि मान्यता है कि वे अपने भक्तों की सभी परेशानियों को दूर करते हैं। मेले के दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु खाटू पहुंचते हैं और बाबा श्याम के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भक्तजन बाबा खाटू का ध्वज लेकर पैदल यात्रा करते हैं और मंदिर में इसे अर्पित करते हैं। जो उनकी गहरी आस्था का प्रतीक है।

क्या है बाबा खाटू श्याम की पौराणिक कथा

महाभारत के महायुद्ध से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कथा खाटू श्याम जी से संबंधित है। भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक एक महान योद्धा थे, जिन्होंने भगवान शिव की तपस्या कर तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे, जिससे उन्हें ‘तीन बाणधारी’ कहा जाता था। उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि वे महाभारत के युद्ध में हारे हुए पक्ष का साथ देंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण वेश में बर्बरीक की परीक्षा ली और उनसे दान में उनका शीश (सिर) मांग लिया। बर्बरीक ने सहर्ष अपना शीश दान कर दिया, लेकिन युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की। श्रीकृष्ण ने उनके शीश को एक पहाड़ी पर स्थापित कर दिया, जिससे वे पूरे युद्ध को देख सके। युद्ध समाप्ति के बाद, श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के बलिदान से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वे ‘श्याम’ नाम से पूजे जाएंगे और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Khatu Shyam Mela 2025: लगने वाला है खाटू श्याम लक्खी मेला, जानिए इसकी विशेषता और पौराणिक कथा

ट्रेंडिंग वीडियो