वृद्धि योग का महत्व
ज्योतिष के अनुसार पौष अमावस्या के दिन वृद्धि योग बन रहा है। इस योग की गई पूजा, दान और जप से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। इस दिन पितरों की आत्माओं की शांति के लिए भी विशेष उपाय किए जाते हैं।
पौष अमावस्या का महत्व
पौष अमावस्या पर गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है। वृद्धि योग में किए गए कार्य जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। यह दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने और आर्थिक समृद्धि के लिए श्रेष्ठ है।
वृद्धि योग
सोमवती अमावस्या के दिन सुबह से लेकर रात 8 बजकर 32 तक वृद्धि योग रहेगा। इस योग में किए गए सभी कार्यों में वृद्धि होती है। इस योग में किए गए कार्यों में कोई रुकावट नहीं आती है। इस शुभ योग में किए गए सभी काम सफल होते हैं। साथ ही उनका अच्छा परिणाम मिलता है। सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से सभी पापों से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही भगवान सूर्यनारायण का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
पीपल के वृक्ष में पितरों का वास
अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए इस दिन मीठे जल में दूध मिलाकर चढ़ाएं, क्योंकि इस दिन पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। पूजन के बाद पीपल की यथा शक्ति परिक्रमा करके जीवन में आने वाली सभी समस्याएं खत्म होने के लिए प्रार्थना करें।