षटतिला एकादशी का महत्व
षटतिला एकादशी को
6 तिल वाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इसका नाम ‘षट’ तिला यानि छह तिल से हुआ है। इस दिन तिल का उपयोग छः प्रकार से करने की परंपरा है। जैसे तिल का सेवन, दान, स्नान, तिल मिश्रित जल, तिल से बनी मिठाइयाँ और हवन। ऐसा करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
तुलसी स्तोत्र का पाठ
धार्मिक मान्यता है कि षटतिला एकादशी पर तुलसी स्तोत्र का पाठ करने वाले जातक को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है। उनकी पूजा और स्तोत्र पाठ करने वालों को भगवान विष्णु का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही घर का वातावरण पवित्र होता है। और आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। क्योंकि तुलसी में माता लक्ष्मी जी का वास होता है। तुलसी स्तोत्र में तुलसी के दिव्य गुणों का वर्णन है। जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
षटतिला एकादशी पर पूजा विधि
इस शुभ और पवित्र दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु और तुलसी का पूजन करने के लिए पूजा समग्री रखें। तुलसी के पौधे के सामने बैठकर विष्णु सहस्रनाम और तुलसी स्तोत्र का पाठ करें। तिल से बने व्यंजन का भोग लगाएं और तिल और अन्न का दान करें।
षटतिला एकादशी का महात्म्य
पुराणों में वर्णित है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है और तुलसी स्तोत्र का पाठ करता है, उसे न केवल धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है, बल्कि उसके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। तुलसी देवी की कृपा से जीवन में शुभता और पवित्रता का संचार होता है।
धन-वैभव की प्राप्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी स्तोत्र का पाठ करने से धन से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं। यह व्रत गृहस्थ जीवन में संतुलन और आर्थिक उन्नति लाने में सहायक होता है। साथ ही यह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।