सुबह 5:45 बजे जिनशासन तीर्थ क्षेत्र स्थित मुख्य जिनालय में अभिषेक व शांति धारा हुई। नित्य महापूजन, जन्मकल्याणक पूजा एवं विशेष हवन किया गया। श्रद्धालुओं ने अभिषेक और पूजा-अर्चना की। सुबह 9:15 घटयात्रा में महिलाएं कलश लेकर चलीं। नव निर्मित जिनालय में वेदियों की शुद्धि और संस्कार हुए। श्रावक-श्राविकाओं ने जयकारे लगाए।
मूर्तियों का वस्त्रसंस्कार पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान जिनशासन तीर्थ क्षेत्र की मूर्तियां परम्परानुसारवस्त्राभूषित की गई। जैन धर्म में इसे वस्त्रसंस्कार कहा जाता है। साधु-संतों की अगुवाई में श्रावक-श्राविकाओं ने इसमें हिस्सा लिया। मूर्तियों पर महीन रेशमी वस्त्रों की शृंखला लगाई गई। प्रत्येक वस्त्र का रंग, शैली शास्त्रीय परंपरा के अनुसार चुनी गई। श्रद्धालुओं ने चंदन, पुष्प और घृत से मूर्तियों को सुगंधित किया। दीक्षा विधि से पूर्व मूर्तियों से वस्त्रमोचन किया गया।
तप ही आत्मा की शक्ति धार्मिक प्रवचन में आचार्य वसुनंदी महाराज ने तपकल्याणक की महत्ता बताते हुअ कहा कि तप ही आत्मा की शक्ति है। तप ही कर्मों के नाश की कुंजी है। तपस्या करना आसान कार्य नहीं है। तप करने के बाद ही व्यक्ति कुंदन बनता है। जब भगवान ऋषभदेव ने राज्य वैभव को त्याग कर वैराग्य अपनाया, तब संसार को संयम और आत्मशुद्धि का मार्ग मिला। हमें अपने जीवन में तप, त्याग और संयम की भावना लानी चाहिए। जो आत्मा संयम मार्ग को अपनाती है, वही मोक्ष के निकट पहुंचती है। देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष ओम प्रकाश भडाणा ने भी धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
भगवान आदिनाथ का राज्याभिषेक भगवान ऋषभदेव के पिता का दरबार सजाया गया। इस दौरान राज्याभिषेक,आदिनाथ भगवान के राज्य संचालन का चित्रण किया गया। तलवार, स्याही और कृषि के विकास को सांकेतिक रूप में प्रस्तुत किया गया। नीलांजना के नृत्य,आकस्मिक निधन, भगवान आदिनाथ द्वारा भरत और बाहुबली को राज्य सौंपकर वैराग्य पर जाने के दृश्य मंचित किए गए। भगवान आदिनाथ के दीक्षा दृश्य की प्रस्तुति दी गई। इसमें अंकन्यास, वैराग्य संस्कारारोपण और विशेष पूजा की गई।
दिग्विजय यात्रा में जयकारे केसरगंज जैसवाल जैन मंदिर से चक्रवर्ती शांतिनाथ की दिग्विजय यात्रा निकाली गई। गोल चक्कर, पड़ाव, कवंड्स पूरा, मदार गेट, गांधी भवन, चूड़ी बाजार, नया बाजार चौपड़, आगरा गेट होते हुए सोनीजी की नसियां पहुंची। सामाजिक,व्यापारिक संगठनों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इस दौरान रथ, अश्व सवारी, झांकी , महिलाएं-पुरुष केसरिया-पचरंगी ध्वज लेकर साथ चले। हाथी पर सवार कुबेर और इंद्र रत्न वर्षा करते चले। पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। शाम को स्वर्ण-रजत दीपकों से मंगल आरती की गई। चक्रवर्ती शांतिनाथ की राज्यसभा में धर्म, न्याय, परोपकार और संयम के मूल्यों को मंचित किया।
होगी जैनेश्वरी दीक्षा तप कल्याणक के तहत बुधवार को जैनेश्वरी दीक्षा होगी। छह ब्रह्मचारी दीदी को दीक्षा दी जाएगी। सबसे बड़ी किताब का विमोचन कल पंचकल्याणक महोत्सव के तहत 24 अप्रेल को दुनिया की सबसे बड़ी किताब खवगरायसिरोमणि का विमोचन किया जाएगा। यह आचार्य विद्यानंद के जीवन, दर्शन और योगदान पर आधारित है। किताब 36 फीट चौड़ी और 24 फीट लंबी है। इसमें 1500 वर्गफीट फ्लेक्स, 50 लीटर रंग, 1 हजार किलो लोहे का उपयोग किया गया है। किताब 18 पन्नों में विभाजित है। इसमें 15 से 20 कलाकारों ने पांच दिन में तैयार किया है। 108 फीट ऊंची धर्मध्वजा भी लहराएगी।