भगवती प्रसाद तिवारी बच्चों का बेहतर भविष्य गढ़ने के लिए शिक्षा को आधार माना जाता है, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा न मिले तो बच्चे का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। प्रदेश के माध्यमिक और प्रारंभिक शिक्षा की कहानी भी कुछ इसी तरह है। जहां प्रधानाचार्य, व्यायाता से लेकर द्वितीय-तृतीय श्रेणी अध्यापकों के हजारों पद खाली होने से बच्चों को अक्षर ज्ञान मिल पाना कठिन हो रहा है।
शिक्षा विभाग में 5 साल से नई भर्तियां और क्रमोन्नति न मिलने से खाली पदों की संख्या बढ़ती जा रही है। सरकार का ध्यान अब तक नई भर्तियों पर नहीं है। प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा में कुल मिलाकर करीब 1.40 लाख पद खाली पड़े हैं। इनमें जिला शिक्षा अधिकारियों के करीब 50 फीसदी से ज्यादा पद रिक्त हैं।
शिक्षा विभाग की सात श्रेणियों प्रधानाचार्य, व्याख्याता, द्वितीय श्रेणी शिक्षक, तृतीय श्रेणी शिक्षक 1.2, तृतीय श्रेणी शिक्षक 1.1, प्रशिक्षक व शारीरिक शिक्षक, प्रयोगशाला सहायक में 4 लाख 82 हजार 910 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 3 लाख 81 हजार 688 पद कार्यरत हैं।
1 लाख 12 हजार 22 पद रिक्त हैं। इनमें व्यायाता, वरिष्ठ अध्यापक, तृतीय श्रेणी अध्यापक के रिक्त पदों से सीधे तौर पर बच्चों के अध्ययन पर असर पड़ता है। जिस कारण खाली पदों के यह आंकड़े शिक्षा विभाग की दुर्दशा को बयां कर रहे हैं।
बेरोजगारों की संख्या बढ़ी
शिक्षा विभाग में लंबे समय से भर्ती परीक्षा नहीं होने से बेरोजगारों की भी संख्या बढ़ती जा रही है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में एक लाख से अधिक युवा प्रतिवर्ष एसटीसी या बीएड की डिग्री करते हैं। समय पर भर्ती नहीं होने से हर वर्ष एक लाख नए संभागी परीक्षा के लिए पात्रता लेते हुए प्रतियोगी बन जाते हैं। सरकार अभी तक रीट की प्रक्रिया भी प्रारंभ नहीं कर पाई है। रीट-2022 में हुई थी। इसके बाद से 2 साल से रीट नहीं हुई।
प्रखर राजस्थान रीडिंग अभियान रहा सुस्त
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने झालावाड़ के कनवाड़ी गांव में प्रखर राजस्थान रीडिंग अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान के तहत राज्य के 65 हजार विद्यालयों के करीब 80 लाख बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना था। यह अभियान 9 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चला, लेकिन इस अभियान के भी ठोस परिणाम नहीं निकल सके।
सालों बाद मिला प्रमोशन
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कुछ दिन पहले ही डीपीसी करने के निर्देशों के बाद 11911 कार्मिकों की पदोन्नति सूची जारी की। इसमें 88 उपाचार्य, 485 प्रधानाध्यापक, 24 उप जिला शिक्षाधिकारी, 20 पुस्तकालय अध्यक्ष ग्रेड-1, 3564 प्राध्यापक (विभिन्न विषय) वर्ष 21-22 तथा 6966 प्राध्यापक (विभिन्न विषय) वर्ष 22-23 शामिल हैं। इसके अतिरिक्त 663 शारीरिक शिक्षक और 93 पुस्तकालय अध्यक्षकों को पदोन्नति दी गई।
सर्वाधिक द्वितीय, तृतीय श्रेणी शिक्षकों के पद रिक्त
खाली पदों में सर्वाधिक पद व्याख्याता, वरिष्ठ अध्यापक और तृतीय श्रेणी शिक्षकों के हैं। इन तीनों कैडर के खाली पदों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। खाली पद बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश में द्वितीय और तृतीय श्रेणी शिक्षकों के ही 70 हजार 946 पद रिक्त हैं। इन पदों के रिक्त होने से बच्चों पर सीधा असर पड़ता है। जिस कारण बच्चों को शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करना टेढ़ी खीर बनती जा रही है।