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धौलपुर

विश्व दूध दिवस: मिलावट होने से ग्राहक सीधे पशुपालक से खरीद रहे दूध

जिले में गोवंशों की अच्छी खासी संख्या होने के बाद भी यहां दूध की गुणवत्ता बेहतर नहीं है। पुरानी छाबनी स्थित सरस का कलेक्शन है लेकिन यहां भी दूध तय मानकों के अनुसार नहीं आने पर कलेक्शन कम ही हो पाता है। कलेक्शन सेंटर से दूध को ठंडा करके भरतपुर भेजा जाता है।

धौलपुरJun 01, 2025 / 05:56 pm

Naresh

धौलपुर. जिले में गोवंशों की अच्छी खासी संख्या होने के बाद भी यहां दूध की गुणवत्ता बेहतर नहीं है। पुरानी छाबनी स्थित सरस का कलेक्शन है लेकिन यहां भी दूध तय मानकों के अनुसार नहीं आने पर कलेक्शन कम ही हो पाता है। कलेक्शन सेंटर से दूध को ठंडा करके भरतपुर भेजा जाता है। जिले में कई और बड़ी कंपनियां के भी प्लांट संचालित हैं। ये भी ग्रामीण इलाके से कलेक्शन करते हैं। सूत्रों के अनुसार दूध की गुणवत्ता हल्की होने की वजह से उसके अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं। उधर, दुग्ध के उत्पादों में मिलावट के चलते ग्राहकों की भी चिंता बढ़ी हुई है। बड़ी संख्या में ग्राहक सीधे पशुपालक के घर से ही दूध लेकर लाते हैं, जिसके दाम बाजार से अधिक हैं।
जांच में निकले 32 नमूने अनामक

जिले में अप्रेल 2024 से मार्च 2025 में खाद्य विभाग की ओर से लिए नमूनों के परिणाम गत दिनों आ गए। जो चिंताजनक हैं। विभाग ने कुल 205 नमूने लिए, जिन्हें मैसूर लैब में जांच को भेजा गया। जांच रिपोर्ट में 32 अनामक मिले यानी खाद्य सामग्री खाने योग्य नहीं है। जबकि 7 नमूनों में अपील हुई है। 19 मामले कोर्ट में पेडिंग हैं। विभाग हर माह 10 सैम्पल लेता है। इसके अलावा सर्विलांस के 25 नमूने अलग हैं। जांच में बटर, दुग्ध उत्पाद के नमूने फेल हुए हैं। ये नमूने सब स्टैण्डर्ड मिले।
गिने चुने जगहों से ही कलेक्शन

बता दें कि एक नामी कंपनी का धौलपुर में प्लांट है लेकिन वह भी धौलपुर, मुरैना और भिंड इत्यादि इलाके में गिने चुने सेंटर से कलेक्शन करते हैं। उक्त कंपनी अपने दुग्ध उत्पाद बाहर से मंगाती है और यहां प्लांट में पििैकजिंग कर सप्लाई करती है। वहीं, राजस्थान सरस ब्रांड के दुग्ध उत्पाद भरतपुर से पैकिंग होकर धौलपुर बूथों पर पहुंचते हैं। इसमें दूध, दही और छाछ प्रमुख हैं। घी की भी सप्लाई है।
इमारत बनी पर मशीनें नहीं आई…

धौलपुर शहर में सीएमएचओ कार्यालय के पीछे की तरफ खाद्य विभाग की लैब के लिए इमारत बन चुकी है। लेकिन यहां अभी तक मशीनें नहीं पहुंची हैं। न ही प्रशिक्षित स्टाफ है, जिससे खाद्य नमूनों की स्थानीय स्तर पर जांच हो सके। अभी तक सैम्पल भरतपुर लैब जाते हैं। साथ ही एक वैन है वह भी मौके पर छोटे टेस्ट करने में सक्षम हैं। खाद्य निरीक्षक पदम परमार ने बताया कि लैब के लिए मशीन और स्टाफ मिलने पर धौलपुर में ही सैम्पलों की जांच हो सकेगी और समय भी कम लगेगा। विभाग देश की प्रतिष्ठित रैफरल फूड लेबोटरी मैसूर सैम्पल भेजता है।
प्रदेश में पशुधन पर एक नजर

राजस्थान में 19 अक्टूबर 2019 को 20वीं पशु जनगणना के आंकड़ों के अनुसार कुल पशुधन 56.8 मिलियन है। जबकि साल 2012 में कुल पशुधन 57.7 मिलियन थे। प्रदेश में करीब 1.66 फीसदी की कमी आई थी। हालांकि, नई पशु गणना हो चुकी है लेकिन अभी विभाग की ओर से डेटा जारी नहीं हुआ है। जिससे मालूम हो सकेगा कि प्रदेश में पशुओं की वर्तमान संख्या कितनी है।

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