पहला दीक्षांत समारोह, एक टेंट में रचा गया इतिहास
चलिए, आज हम जानेंगे उस ऐतिहासिक पल की कहानी जिसने न केवल एक संस्थान की पहचान रची बल्कि भारत में तकनीकी शिक्षा की नई परिभाषा भी गढ़ी। आज जिस IIT कानपुर को देश और दुनिया में तकनीकी शिक्षा का सिरमौर माना जाता है उसकी शुरुआत बहुत साधारण और प्रेरणादायक रही है। 1959 में स्थापित इस संस्थान का पहला दीक्षांत समारोह 17 अक्टूबर 1965 को एक साधारण टेंट के नीचे हुआ था, जहां बतौर मुख्य अतिथि भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने खुद छात्रों को डिग्रियां प्रदान की थी।
किस शाखा से, कितने छात्रों को मिली थी डिग्री?
यह ऐतिहासिक समारोह न केवल IIT कानपुर के लिए बल्कि उन 66 छात्रों के लिए भी एक यादगार पल था जिन्हें पहली बार संस्थान से बीटेक की डिग्री मिली। इन छात्रों का नाम आज इतिहास में दर्ज है क्योंकि इन्होंने उस समय तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में एक नई शुरुआत की थी। इस दीक्षांत समारोह में B.Tech डिग्रियां पाने वाले कुल 66 छात्रों में 8 छात्र केमिकल, 6 सिविल, 15 इलेक्ट्रिकल, 23 मैकेनिकल और 14 मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग के थे। इसके अलावा 5 छात्रों को Ph.D. की डिग्री भी दी गई जिनमें 3 गणित, 1 मैकेनिकल और 1 भौतिकी विषय में थी। यह IIT कानपुर के इतिहास का एक खास और यादगार दिन था।
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IIT कानपुर की पहली B.Tech डिग्री अभय कुमार भूषण (Abhay K. Bhushan) को मिली थी। वह 1960-1965 की पहली बैच के छात्र थे और Electrical Engineering शाखा से पढ़ाई की थी। Roll No. 60001 के धारक अभय कुमार भूषण को संस्थान की पहली B.Tech डिग्री प्रदान की गई थी।
वे न सिर्फ IIT कानपुर के पहले ग्रेजुएट्स में से एक थे बल्कि आगे चलकर उन्होंने इंटरनेट की नींव रखने वाले File Transfer Protocol (FTP) को भी डिजाइन किया और अमेरिका में तकनीकी व सामाजिक क्षेत्रों में बड़ा योगदान दिया।
IIT कानपुर के पहले निदेशक
इस समारोह की खास बात यह थी कि यह किसी भव्य भवन में नहीं बल्कि खुले मैदान में लगाए गए टेंट में आयोजित हुआ था। समारोह की अध्यक्षता संस्थान के पहले निदेशक डॉ. पीके केलकर कर रहे थे। उन्होंने संस्थान के विकास, चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर बात करते हुए युवाओं को देश निर्माण में योगदान देने का संदेश दिया।
IIT कानपुर की शुरुआती यात्रा
IIT कानपुर की शुरुआत 1959 में कानपुर के ही हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (HBTI) के एक कमरे से हुई थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने 1960 में संस्थान के लिए भूमि प्रदान की और 1963 तक यह अपने वर्तमान 420 हेक्टेयर के परिसर में स्थानांतरित हो गया।
आज से तब तक, एक गौरवशाली सफर
23 जून को 58वां दीक्षांत समारोह होने जा रहा है। जिसमें भारत के मौजूदा RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा जो खुद IIT कानपुर के पूर्व छात्र हैं अपना संबोधन देंगे, तब यह अवसर उस लंबी यात्रा की याद दिलाएगा जो एक टेंट से शुरू होकर आज अंतरराष्ट्रीय पहचान तक पहुंची है।