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रोज शहर से 5 टन कचरा निकल रहा, इसमें सबसे ज्यादा प्लास्टिक, जेल और जुर्माना से भी नहीं डर रहे लोग

एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज पॉलीथिन उपयोग और बिक्री पर बैन लग चुका है लेकिन इसका धड़ल्ले से शहर में उपयोग हो रहा है। 3 साल बाद भी पॉलीथिन पर प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया है। नतीजा रोज शहर से निकलने वाले 5 टन कचरे से बड़ी मात्रा पॉलीथिन और डिस्पोजल शामिल है।

बालोदJul 12, 2025 / 10:44 pm

Chandra Kishor Deshmukh

एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज पॉलीथिन उपयोग और बिक्री पर बैन लग चुका है लेकिन इसका धड़ल्ले से शहर में उपयोग हो रहा है। 3 साल बाद भी पॉलीथिन पर प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया है। नतीजा रोज शहर से निकलने वाले 5 टन कचरे से बड़ी मात्रा पॉलीथिन और डिस्पोजल शामिल है।
Single use plastic: एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज पॉलीथिन उपयोग और बिक्री पर बैन लग चुका है लेकिन इसका धड़ल्ले से शहर में उपयोग हो रहा है। 3 साल बाद भी पॉलीथिन पर प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया है। नतीजा रोज शहर से निकलने वाले 5 टन कचरे से बड़ी मात्रा पॉलीथिन और डिस्पोजल शामिल है। नगर पालिका के अधिकारी भी स्वीकार रहे हैं कि प्लास्टिक उपयोग हो रहा है। जिम्मेदार अफसर खानापूर्ति कर रहे हैं। इस कारण व्यापारी और ग्राहक पॉलीथिन का उपयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। सबसे ज्यादा कैरी बैग का उपयोग सब्जी मंडियों में होता है। शहर के कुंदरूपारा ट्रेंचिंग ग्राउंड में प्लास्टिक का ढेर बढ़ता जा रहा है।

उल्लंघन पर 5 साल की जेल या एक लाख रुपए जुर्माना

बुधवारी बाजार, घड़ी चौक, जयस्तम्भ चौक, सदर मार्ग, पुराना व नया बस स्टैंड स्थित कुछ दुकानों में बड़ी मात्रा में पॉलीथिन उपलब्ध है लेकिन प्रशासन की टीम को जांचने की फुर्सत नहीं है। जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राज्य की एजेंसियों को प्लॉस्टिक उपयोग को रोकने सख्त निर्देश दिए हैं। उल्लंघन पर 5 साल की जेल या एक लाख रुपए जुर्माना का नियम है। लोगों का कहना है कि पॉलीथिन कैरीबैग पर प्रतिबंध नहीं लगने के पीछे सबसे बड़ी गलती हमारी है, जब तक हम नहीं सुधरेंगे, तब तक पॉलीथिन बंद नहीं होगा। इसके अलावा चाय की दुकानों, प्लास्टिक के कप-ग्लास भी सीवरेज जाम का बड़ा कारण हैं।
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इन जगहों पर सबसे ज्यादा उपयोग

दूध, दही, पनीर प्लास्टिक पैङ्क्षकग में उपलब्ध हैं। शहर में डेयरियों में भी खुले दूध को पॉलीथिन पैकिंग में ही दिया जाता है। किराने की दुकान व सब्जी बाजार सहित शहरभर की सैकड़ों किराना की दुकानों में खुलेआम सामान पॉलीथिन कैरी बैग में ही दिया जाता है।
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प्लास्टिक के इन सामान पर प्रतिबंध

1 जुलाई 2022 से प्लास्टिक स्टिक वाली ईयरबड, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक डंडी, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी, आइसक्रीम स्टिक, सजावट के लिए थर्मोकोल, प्लेट, कप, गिलास, काटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बों को लपेटने या पैकिंग की फिल्म, निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रॉन से कम के प्लास्टिक बैनर शामिल है।

जानिए… पॉलीथिन के बदले ये हैं विकल्प

पॉलीथिन का सबसे बेहतर विकल्प है कपड़ों से बनाए गए थैले। इसके अलावा कागज के थैले, जूट के थैले, नायलॉन, कैरी बैग जैसे प्रोडक्ट कम पैसे में छोटे बिजनेस के रूप में मुनाफा कमाने का एक जरिया हैं। यह पर्यावरण के लिए, हानिकारक नहीं होते हैं।

20 वार्ड में रोज 5 टन निकलता है कचरा

नगर पालिका के मुताबिक नगर में कुल 20 वार्ड हैं। रोज लगभग 5 टन कचरा निकलता है, जिसमें से कुछ ठोस कचरे को डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने वाली स्वच्छता दीदियां ले जाती हैं। नगर पालिका को स्वच्छता के मामले में तीसरी रेटिंग मिली है। पालिका भी अन्य बड़े शहरों में किए जा रहे प्रयोग को भी जिले में कर रही है।

शहर में बांटे गए कचरा पेटी, गायब, खुले में फेंक रहे कचरा

नगर में एक ओर नगर पालिका लगातार सफाई को लेकर लोगों को जागरूक कर रही है। वहीं कई ऐसे लोग हैं, जो कचरा को खुले में फेंक रहे हैं। नगर पालिका डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए दुकानों व घरों से महीने के मात्र 30 रुपए लेते हैं। कई दुकानदारों को भी यह राशि अधिक लगती है। कचरे को गली व नाली में फेंक देते हैं। कुछ मोहल्ले में कचरा डालने कचरा पेटी रखी थी, जो गायब हो गई है। कुछ टूट-फूट गए हैं।

कचरे को इधर-उधर न फेंकें

नगर पालिका बालोद के स्वच्छता निरीक्षक पूर्णानंद आर्य ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक बेचने वालों के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। अब और सघन अभियान चलाया जाएगा। शहर में पॉलीथिन डिस्पोजल भी ज्यादा निकल रहा है। उन्होंने अपील की कि कचरे को भी इधर-उधर न फेंक कर कचरा पेटी में डालें।

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