सीएम फडणवीस ने यह बयान विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के कार्यकाल के आखिरी दिन उनके विदाई समारोह के दौरान दिया। इससे पहले सदन परिसर में फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच संक्षिप्त मुलाकात भी हुई थी, जिसने राजनीतिक अटकलों को और हवा दे दी।
उद्धव के सत्ता में आने की गुंजाइश, फडणवीस ने क्यों कहा?
सीएम फडणवीस ने ठाकरे गुट के कद्दावर नेता अंबादास दानवे को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वह फिर से विधान परिषद में आए. इस दौरान उन्होंने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे का नाम लेते हुए मुस्कुराकर कहा, लेकिन मैं यह नहीं कहता की वह (दानवे) फिर से नेता प्रतिपक्ष ही बने। इसके बाद ठाकरे ने भी कुछ कहा जिस पर फडणवीस ने प्रतिक्रिया देते हुए चुटकी ली और कहा, “उद्धव जी, अब 2029 तक हमारे पास विपक्ष में बैठने का कोई स्कोप नहीं है, लेकिन आपके पास सत्ता में आने का स्कोप जरूर है। उस दिशा में अलग तरह से विचार किया जा सकता है। हम अलग तरीके से बात करेंगे…” खास बात यह रही कि फडणवीस ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि वह आज भी शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) को मित्र पक्ष के तौर पर देखते है। उनके इस बयान को उद्धव ठाकरे के लिए एक राजनीतिक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है, जो आने वाले चुनावों से पहले नए समीकरणों का इशारा करता है।
इससे पहले 5 जुलाई को मुंबई के वर्ली में आयोजित ‘आवाज मराठीचा’ कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे करीब दो दशक बाद एक साथ मंच पर नजर आए थे, जिसके बाद से मनसे और शिवसेना (उबाठा) के संभावित गठबंधन की चर्चाएं तेज हो गई थीं। हालांकि उद्धव मनसे से गठबंधन के लिए तैयार नजर आ रहे है, लेकिन मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले है। ऐसे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा सीधे तौर पर उन्हें सत्ता में शामिल होने का प्रस्ताव देने से सवाल उठ रहे है कि क्या महाराष्ट्र की राजनीति में अहम मोड़ आने वाला है?
फडणवीस ने यह बयान गंभीरता से दिया था या मजाक में, यह बात आने वाले समय में स्पष्ट होगी। खास बात यह है कि उद्धव ठाकरे इस पर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं, यह देखना अब महत्वपूर्ण होगा। हिंदुत्व और विकास के मुद्दे पर शिवसेना और भाजपा के बीच दो दशक से अधिक समय तक गठबंधन रहा, लेकिन 2019 चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर विवाद के बाद दोनों दल अलग हो गए, इसके ढाई साल बाद शिवसेना में फूट पड़ने के बाद उद्धव ठाकरे और बीजेपी के रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए। अब जब खुद देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को ऑफर दिया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में कोई बड़ी उठापटक होती है या नहीं। फिलहाल उद्धव ठाकरे गुट की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।