ब्रह्मा जी ने की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में शुरू की थी सृष्टि की रचना
भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार सनातन काल गणना में चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से ही नववर्ष शुरू होता है, क्योंकि ब्रह्म और नारद पुराण के मुताबिक इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। सृष्टि की रचना के करीब दो अरब साल बाद सम्राट विक्रमादित्य ने नया संवत् चलाया। ये उसी दिन से शुरू होता है जिस दिन सृष्टि बनी थी।ब्रह्म पुराण में इस तिथि को नए संवत्सर की पूजा करने का विधान बताया गया है। तिथि और पर्व तय करने वाले ग्रंथ निर्णय सिन्धु, हेमाद्रि और धर्म सिन्धु में इस तिथि को पुण्यफलदायक कहा गया है। इस तिथि को युगादि कहा जाता है, यानी इस दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी।
इस विक्रम संवत में दो तरह से महीनों की गिनती होती है। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में अमावस्या खत्म होने के बाद नए महीने की शुरुआत होती है। वहीं, उत्तर भारत सहित ज्यादातर जगहों पर पूर्णिमा के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है। इसी कारण होली के अगले दिन नया महीना तो लग जाता है लेकिन हिंदू नववर्ष महीने के 15 दिन बीतने के बाद शुरू होता है।
चैत्र महीने में हुआ भगवान विष्णु का पहला अवतार
भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था। प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।चैत्र मास व्रत-त्योहार सूची
14 मार्च 2025: होली (फागुन पूर्णिमा का अगला दिन)15 मार्च 2025: चैत्र मास प्रारंभ
16 मार्च 2025: भाई दूज
17 मार्च 2025: भालचद्र संकष्टी चतुर्थी
19 मार्च 2025: रंग पंचमी ये भी पढ़ेंः
21 मार्च 2025: शीतला सप्तमी
22 मार्च 2025: शीतला अष्टमी, बसोड़ा, कालाष्टमी
25 मार्च 2025: पापमोचिनी एकादशी
27 मार्च 2025: प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
29 मार्च 2025: सूर्य ग्रहण, चैत्र अमावस्या
30 मार्च 2025: गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि
31 मार्च 2025: गणगौर
06 अप्रैल : रामनवमी
12 अप्रैल : चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती