होलिका दहन का 47 मिनट का समय (Holika Dahan Time)
ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार होलिका दहन 13 मार्च को और होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। लेकिन होलिका दहन के समय पंचांग के अनुसार भद्रा दोष रहेगा, इसका भूलोक में वास अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए शाम की बजाय रात में होलिका दहन हो सकेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए 47 मिनट का ही समय रहेगा।13 मार्च को होलिका दहन पर भद्रा का साया (Bhadra On Holi)
भद्रा का समयः गुरुवार, 13 मार्च को सुबह 10:36 बजे से मध्य रात्रि 11:27 तकहोलिका दहन का समयः मध्य रात्रि 11:28 से मध्य रात्रि 12:15 के बीच
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि कब तक
फाल्गुन पूर्णिमा का आरंभः गुरुवार, 13 मार्च को सुबह 10:36 बजे सेफाल्गुन पूर्णिमा तिथि समापनः शुक्रवार, 14 मार्च को दोपहर 12.15 बजे तक

होलिका दहन 14 मार्च को करने वालों का मत (Why Holika Dahan On 14 March)
कई लोग पूर्णिमा के निर्धारण में उदयातिथि का ध्यान रख सकते हैं, ऐसे में वो पूर्णिमा 14 मार्च को मानेंगे, जिससे होलिका दहन शुक्रवार को करेंगे, ऐसे में इनके लिए होली 15 मार्च को होगी। ऐसे लोगों का तर्क है कि 13 मार्च को प्रदोषकाल में भद्रा होने से अगले दिन होलिका दहन करना चाहिए।यथा भद्रायां हे न कर्तव्ये श्रावणी (रक्षाबंधन) फाल्गुनी (होलिकादहन) तथा।
श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्राम दहति फाल्गुनी ॥
( मुहर्त्तचिंतामणि ) ये भी पढ़ेंः होलिका दहन की लौ पर दें ध्यान, मिलते हैं 5 संकेत, पूर्व दिशा में बढ़ती लौ रोजगार पर करती है बड़ा इशारा
होलिका दहन 13 मार्च को क्यों करें (Why Holika Dahan On 13 March)
ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार उदयातिथि में यानी 14 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा का मान तीन प्रहर से कम है। इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को ही करना बेहतर है। क्योंकि शास्त्रों में बताया गया है कि पूर्णिमा तिथि का मान तीन प्रहर से कम होने पर पहले दिन का मान निकालकर होलिका दहन करना चाहिए।होलिका दहन से पूर्व होली पूजा विधि (Holika Dahan Puja Vidhi)
मान्यता के अनुसार होली पर होलिका पूजन करने से सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त की जा सकती है। होलिका पूजा से शक्ति, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होलिका का निर्माण सभी प्रकार के भय को दूर करने के लिए किया जाता है, इसलिए होलिका के एक राक्षसी होते हुए भी, होलिका दहन से पूर्व प्रह्लाद के साथ उसका पूजन किया जाता है।होलिका दहन के समय जरूर करें ये काम (Gobar Ki Gulariya Ka Kya Karen)
परंपरा के अनुसार होलिका की स्थापना के समय गाय के गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति को गुलरी भरभोलिए और बड़कुला के शीर्ष पर रखा जाता है। होलिका दहन के समय भक्त प्रह्लाद की मूर्ति को बाहर निकाला जाता है।इसके अतिरिक्त होलिका दहन से पूर्व गाय के गोबर की चार गुलरियां भी सुरक्षित रख ली जाती हैं। एक पितरों के नाम पर, दूसरी हनुमान जी के नाम पर, तीसरी देवी शीतला के नाम पर और चौथी गुलरी को परिवार के नाम पर सुरक्षित जाता है।
साथ ही शुभ समय पर होलिका दहन करना चाहिए, क्योंकि अशुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से दुर्भाग्य और कष्ट भोगने का कारण बन सकता है।