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एमपी में सूदखोरों से कांपी पुलिस! सुसाइड के ये मामले कर देंगे हैरान

MP Crime: मध्य प्रदेश के गुना जिले में लगातार बढ़ रहे सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करने के मामले, पुलिस नहीं ले रही कोई एक्शन, सबूत लेकर थानों के चक्कर काट रहे परिजन….

गुनाMay 21, 2025 / 12:41 pm

Sanjana Kumar

Crime
MP Crime: सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग आकर लोगों की खुदकुशी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पुलिस ऐसे मामलों में आरोपियों पर तमाम सबूतों के बावजूद कार्रवाई नहीं कर रही है। सुसाइड नोट को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। यही कारण है कि मृतकों के परिजनों को बार-बार कार्रवाई के लिए पुलिस थानों का चक्कर काटना पड़ रहा है।
केस-1

धरनावदा थाना क्षेत्र के पटना निवासी अरविंद कुशवाह सांवेर में रामा फास्फेट कंपनी में कांट्रेक्टर था। उससेे बमोरी के मोहरसिंह के जरिए सौरभ यादव ने पांच लाख रुपए की जगह आठ लाख रुपए वसूल लिए थे। पैसा न देने पर उसे जान से मारने की धमकी भी दे रहे थे। इसी बीच इंदौर के पास सांवेर में उसकी मौत हो गई थी। मृतक ने अपने सुसाइड नोट में इन कर्जदारों व प्रताड़ना का हवाला भी दिया था। इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई और यह मामला ठंडे बस्ते में कैद हो गया।
केस-2

चंद्रशेखर राठौर उर्फ राजू ने 9 जनवरी 2024 को केशव कॉलोनी स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था। जिसमेें दस प्रतिशत ब्याज वसूलने की बात कही थी। सूदखोरों ने उसे यहां तक धमकी दी थी कि तू अपने पत्नी या बच्चों को बेच लेकिन हमारे पैसे दे। सुसाइड नोट में अमित शर्मा (अंकित शर्मा) आशु सेन सहित आधा दर्जन से अधिक नामों का जिक्र किया था। राजू के परिजन न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
केस-3

आरोन के साईं नगर में मोहित सोनी (35) पत्नी सीमा सोनी (32) के साथ रहते थे। मोहित ने पहले सीमा की गला दबाकर हत्या की। इसके बाद वह भी फांसी का फंदा बनाकर झूल गया। मौके से दो पेज का सुसाइड नोट मिला है। मोहित कर्ज में डूबा हुआ था। उस पर 20 से 25 लोगों का कर्ज था। मोहित घर में ही जनरल स्टोर की दुकान चलाता था। मौत के बाद परिजनों ने आरोन पुलिस को सूदखोरों के नाम बताए थे, जो उसे मूलधन चुकाने के बाद भी परेशान कर रहे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ज्यादातर मामले ठंडे बस्ते में

जिले में सूदोरी से तंग आकर खुदकुशी करने की घटनाओं की पत्रिका ने पड़ताल की तो पता चला कि अधिकांश मामले पुलिस के ठंडे बस्ते में बंद हैं। सूदखोरों का बाल भी बांका नहीं हुआ। वे अब भी अपना धंधा खुलेआम चला रहे हैं। ऐसे मामलों में पुलिस का खामोश रहना कई संदेहों को जन्म देता है। मृतक के परिजनों को न्याय न मिलने से वे दर-दर भटकते रहते हैं।
ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने मरने से पूर्व सुसाइड नोट लिखा, और अपनी मौत के जिमेदारों का खुलासा किया। पुलिस को यह सुसाइड नोट भी उनके परिजनों ने सौंपे। इसके बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। न ही उनके मकान, चेक या अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज सूदखोरों से वापस मिल पाए। उल्टे उनके खिलाफ चेक बाउंस के मामले और दायर कर दिए। झूठे केस में फंसाने की धमकी दी गई। सूदखोरों को राजनेताओं का भी संरक्षण है, जिसके कारण उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं करती और मामले को ठंडे बस्ते में डाल देती है।

हम ऐसे मामलों को दिखवाएंगे और तुरंत कार्रवाई करेंगे

सूदखोरी जैसा कोई भी कारोबार यहां नहीं चलने दिया जाएगा। प्रताड़ना से किसी की मौत हुई है यह गंभीर बात है। हम ऐसे मामलों को दिखवाएंगे और तुरंत कार्रवाई भी कराएंगे। किसी भी आरोपी को छोड़ा नहीं जाएगा

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