प्रशासन ने 30-40 साल पुराने बताए थे अतिक्रमण
● प्रशासन ने कोर्ट में बताया था कि 1970 में औद्योगिक क्षेत्र को बसाया गया था। क्षेत्र का ले आउट नहीं है। जो मकान बन है, उन्हें 30 से 40 साल हो गए हैं। जिस रिपोर्ट में अतिक्रमण का उल्लेख किया जा रहा है, वह पुरानी है। ● याचिकाकर्ता ने औद्योगिक क्षेत्र का लेआउट पेश किया, जिसमें सड़क की चौड़ाई बताई गई। राजस्व धिकारियों ने सर्वे किया और 74 अतिक्रमण चिह्नित किए।
याचिका में यह दिया तर्क
प्रीस्ट्रेस्ड कंक्रीट इंडस्ट्रीज की ओर से नरेश अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में तर्क दिया है कि गोसपुरा औद्योगिक क्षेत्र में 80 फीट चौडी सड़क है। इस सड़क पर लोगों ने कब्जा कर लिया है, जिससे सड़क संकरी हो गई है। इंडस्ट्रीज में भारी वाहन आते हैं तो अतिक्रमण में फंस जाते हैं। आवाजाही में भारी दिक्कत आती है। 12 साल से अतिक्रमण हटाने का मामला चल रहा था। हाईकोर्ट में यह मामला संज्ञान में आया तो नाराजगी जताई। इसके बाद तहसीलदार ने 74 लोगों को भू राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत नोटिस दिए। अतिक्रमण हटाने के नोटिस के खिलाफ पीडितों ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने पीड़ितों को सुने जाने के बाद फैसला लिए जाने का आदेश दिया।