दहेज प्रताड़ना के लिए सामान या नगदी की मांग जरूरी नहीं है, बल्कि पत्नी की इच्छा के विरुद्ध और उसके विरोध के बावजूद उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना, मारपीट करना और शारीरिक प्रताड़ना देना भी क्रूरता की परिभाषा में आएगा। कोर्ट ने धारा 377 के अपराध को निरस्त कर दिया, लेकिन धारा 498 ए व मारपीट के आरोप को बरकरार रखा है।
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बंटू (परिवर्तित नाम) के ऊपर उसकी पत्नी ने सिरोल थाने में अप्राकृतिक कृत्य, मारपीट व दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया। आरोप लगाया कि 2 मई 2023 को विवाह हुआ था। 5 लाख रुपए व घरेलू सामान दहेज में दिया। पति शराब पीकर उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य करता था। जब विरोध करती थी, तो मारपीट व क्रूरता करता था। इस बात को माता-पिता को बताया। माता-पिता ने भी समझाने की कोशिश की, लेकिन पति नहीं माना। इसलिए एफआईआर दर्ज कराई।
बंटू ने एफआईआर को 2024 में हाईकोर्ट में चुनौती दी। उसनेे तर्क दिया कि पत्नी के साथ बनाए यौन संबंध अपराध नहीं है। यह मामला दहेज प्रताड़ना व मारपीट का भी नहीं बनता है। यौन संबंध का है, इसलिए एफआईआर निरस्त की जाए। पुलिस ने याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने धारा 377 के अपराध को निरस्त कर दिया, लेकिन दहेज प्रताड़ना का आरोप बरकरार रखा।