ग्वालियर नगर निगम ने स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी बहाने के लिए 547 करोड़ रुपए की जरूरत बताते हुए इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। अब शासन से स्वीकृति मिलने के साथ ही कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही स्वर्ण रेखा नदी में कार्य कराया जाएगा।
हाईकोर्ट द्वारा स्वर्ण रेखा के मामले में निगम अफसरों को फटकार के साथ ही कार्य की प्लानिंग देने के लिए कहा गया था। इस पर निगम ने प्लानिंग दी थी। स्वर्ण रेखा नदी को लेकर शुक्रवार को निगम आयुक्त संघप्रिय ने निगम अफसरों के साथ बैठक की। इस दौरान आयुक्त ने स्वर्ण रेखा के किनारे जाली व ग्रिल का कार्य जल्द पूरा करने के निर्देश दिए।
निगम आयुक्त संघप्रिय ने स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को पीडब्ल्यूडी के अफसरों के साथ समन्वय कर तीन किमी तक ग्रिल व जाली लगाने का कार्य तेजी के साथ पूरा करने को कहा। उन्होंने कहा कि स्वर्ण रेखा में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए, इसमें कोई कचरा न डाल पाए। स्वर्ण रेखा को साफ रखने की जो प्लानिंग बनाई गई है, उसका पालन ध्यान से कराया जाए।
हाईकोर्ट ने लगाई कई बार फटकार
स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी बहाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर कोर्ट द्वारा लगातार सुनवाई करते हुए नगर निगम, स्मार्ट सिटी, जिला प्रशासन, डब्ल्यूआरटी सहित अन्य विभागों से रिपोर्ट व प्लानिंग मांगी जा रही है। हाईकोर्ट द्वारा इस संबंध में अफसरों को कई बार फटकार लगाई गई। निगम ने प्लानिंग भी दी, लेकिन राशि नहीं होने से कार्य करना मुश्किल था।
अब नगर निगम ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। प्रस्ताव में स्वर्ण रेखा नदी में 20 किमी ट्रंक लाइन, जलालपुर पर 45 एमएलडी का एसटीपी प्लांट बनाने, 470 किमी की नई पाइप लाइन डाले जाने, 19256 सीवरेज मेन हॉल और 50 हजार से अधिक सीवरेज के कनेक्शन देने की बात कही गई है।
ग्वालियर नगर निगम द्वारा राज्य सरकार को भेजे प्रस्ताव में बताया है कि स्वर्ण रेखा कार्य के लिए हमें 547 करोड़ की जरूरत है। यह अति आवश्यक है जिससे स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी बहाया जा सकेगा।