हनुमानगढ़ जिले में खरीफ 2024 में एक लाख 43 हजार किसानों ने अपनी फसलों का बीमा करवाया था। इसकी एवज में बड़ी राशि प्रीमियम पेटे उनके खातों से काटी गई थी। परंतु अब तक एक भी किसान को फसल बीमा का क्लेम नहीं मिला है। इसी तरह रबी 2023 में एक लाख 38 हजार किसानों ने बीमा करवाया था। इसमें खराबे के अनुपात में करीब 124 करोड़ का क्लेम सेटलमेंट किया गया। इसके तहत 122 करोड़ का क्लेम किसानों को वितरित किया गया है। करीब डेढ़ करोड़ की राशि पेडिंग है।
नोहर के रामगढ़ क्षेत्र के किसान पवन नैण का कहना है कि वह सरसों, चना, गेहूं आदि फसलें उगा रहे हैं। वह हर वर्ष मदद की आस में फसलों का बीमा भी करवा रहे हैं। गत खरीफ सीजन 2024 का बीमा अब तक नहीं आया है। 2024 ही नहीं पीछे का भी फसल बीमा बाकी पड़ा है। दो-तीन फसलों का बीमा अब तक बाकी है। हम तो समय पर बीमा करवाते हंै परंतु हमें समय पर बीमा नहीं मिलता है। सेटेलाइट की जगह किले वाइज गिरदावरी होनी चाहिए। पटवारी व ग्रामसेवक को भी समय-समय पर किसानों के खेतों का निरीक्षण करना चाहिए। जिससे कि फसल बीमा का सही आंकलन हो सके। सेटेलाइट व्यवस्था बीमा कंपनी के लिए तो ठीक है परंतु आम किसान इसे पसंद नहीं करता है।
नोहर के गांव अरडक़ी निवासी किसान महेंद्र कुमार कहना है कि वह चना, ग्वार की खेती कर रहे हैं। फसलों का बीमा भी करवा रहे हैं। गत खरीफ सीजन 2024 का बीमा अब तक नहीं आया है। महेंद्र के अनुसार फसल बीमा का सिस्टम तो ठीक है, परंतु बीमा समय पर किसानों के खातों में आना चाहिए। बीमा रकम समय पर आ जाए तो किसान मौके पर अपनी जरूरत पूरी कर लेता है। फसल बीमा से किसान को काफी आर्थिक सहायता मिलती है। इसे निरंतर व्यवस्थित कर जारी रखना चाहिए। गरीब किसानों के लिए फसल बीमा काफी लाभदायक है।
हनुमानगढ़ तहसील क्षेत्र के किसान मोहन लोहरा के अनुसार फसली ऋण लेते ही हमारे खाते से फसल बीमा के नाम पर प्रीमियम काट लिया जाता है। लेकिन जब फसल खराब हो जाती है तो क्लेम देने में सरकार व बीमा कंपनी आनकानी करती है। हमारी सरकार से मांग है कि खराबे के अनुपात में हमें बीमा क्लेम मिले। मोहन के अनुसार हम बीमा करवाते जरूर हैं लेकिन आज तक क्लेम नहीं मिला है।
हनुमानगढ़ तहसील क्षेत्र के 22 एनडीआर के किसान बनवारीलाल नायक के अनुसार हम फसलों का बीमा हर सीजन में करवाते हैं। सरकार जितना जल्दी प्रीमियम कटवाने में लगाती है, उतनी जल्दी क्लेम जारी करने में नहीं करती है। इस वजह से कई किसानों का दो से तीन फसलों का क्लेम अब तक बकाया चल रहा है। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे किसानों को फसल खराबे पर तत्काल बीमा क्लेम मिले।