उसने पुलिस को बताया कि वह 12वीं पास करने के बाद रोजगार तलाश रहा था। मुसलमानों का धर्मगुरु बताने वाले रफीक मियां निवासी टाकला तहसील बिलासपुर जिला रामपुर का गांव में आना-जाना था। ऐसे में उस पर लोग विश्वास करने लगे और वह सामग्री इकट्ठी कर अपने गांव ले जाने लगा।
नौ अक्टूबर 24 को रफीक गांव में उनके घर रुका तो उसे हांगकांग भेजकर 15 हजार डॉलर प्रतिमाह तनख्वाह दिलाने की ऐवज में सात लाख का खर्चा बताया। आधी रकम पहले, बाकी तनख्वाह में से प्रति माह देने को कहा। पड़ौसी रफीक कारी तथा हाजी खिज्र के सामने रफीक ने बातें दोहराकर डेढ़ लाख रुपए लिए।
रफीक ने उत्तरप्रदेश चलने को कहा तो अवध एक्सप्रेस ट्रेन की तीन टिकटें बनवाई। राज मोहम्मद व गुलाम अली के साथ अगले दिन पहुंचने पर रफीक ने मुरादाबाद अस्पताल में मेडिकल बनवाकर 11 हजार रुपए लिए। उन्हें गांव टाकला ले गए। अगले दिन ट्रेन से वापिस भेजा। रफीक ने वीजा के लिए 40 हजार लड़के सबू के खाते में डलवाए। 29 दिसंबर को रफीक ने कीकरवाली आकर डेढ़ लाख रुपए दो हांगकांग वीजा के लिए टिकटें बनवाने की ऐवज में मांगे। संगरिया से 1.20 लाख रुपए में सोने की बालियां देकर रुपए लाकर दिए।
उतरप्रदेश वापिस जाने के बाद रफीक व लड़कों से बातचीत में वीजा दिलाने व रकम के ब्याज व हो रही परेशानी बयां की। इस पर रफीक ने अपने लड़के सत्तार के नाम फर्जी एग्रीमेंट, टिकट व वीजा कॉपी भेजकर कहा, विश्वास करो आपका काम होगा। इंतजार करते रहे बात नहीं बनी। इसी दौरान गांव में कई लोगो से ठगी करने की चर्चाएं सामने आई। पता चला कि रफीक मियां ने गांव के राज मोहम्मद, गुलाम अली, बग्गा खां, अल्लादिता, पोकरराम व युसुफ खां निवासी रोड़ांवाली से ठगी करके रुपए ऐंठ लिए हैं।
सभी व्यक्ति इकट्ठा होकर 30 जनवरी को रफीक मियां के गांव टाकला गए। वहां रफीक, सत्तार, सबू नदीम, मूला आसिफ घर पर मिले। टालमटोल के बाद रोजगार, वीजा के बहाने छलकपट कर रकम ठगने की बातें कहीं लेकिन रकम लौटाने से इंकार कर दिया। विभिन्न धाराओं में पुलिस ने प्रकरण पंजीबद्ध किया है। एएसआई राजाराम तफतीश कर रहे हैं।