श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के अध्यक्ष अनोप कुमार पडिय़ार कल्याणपुर ने कहा, पिछले 12 वर्ष से हम यहां हुब्बल्ली में पीपा जयंती महोत्सव मना रहे हैं। हर साल पीपा जयंती पर कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पीपा जयंती से एक दिन पूर्व सत्संग का आयोजन रखा जाता है। पीपा जयंती के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का आयोजन किया जाता है। इस बार भामाशाह ललीत कुमार महेन्द्र कुमार दैय्या की तरफ से महाप्रसादी का आयोजन रखा गया। श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक में समूचे उत्तर कर्नाटक के जिलों के समाज के लोग जुड़े हुए हैं। समाज की ओर से गुरू पूर्णिमा, दीपावली स्नेह मिलन समारोह, होली महोत्सव का आयोजन रखा जाता है। साल में चार बार क्रिकेट खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। अब समाज का भवन बनाने पर भी विचार चल रहा है। हर चैत्र पूर्णिमा के दिन समाज के होनहार विद्यार्थियों को सम्मानित करने की भी योजना है।
श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के कोषाध्यक्ष कैलाश कुमार परमार जाणियाणा ने कहा, समाज की ओर से पीपा जयंती महोत्सव हर साल धूमधाम से मनाया जा रहा है। राजस्थान के विभिन्न समाजों के प्रमुख गणमान्य लोगों को भी समारोह में आमंत्रित किया जाता है। राजस्थान से कर्नाटक आने वाले राजस्थान के प्रमुख लोगों का स्वागत भी किया जाता है। समाज की ओर से समय-समय पर धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिसमें समाज के लोग उत्साह के साथ भाग लेते हैं। पीपा महाराज के जीवन से हमें सीख मिलती है कि भौतिक लालच को छोड़कर संतोष में जीवन जिएं। सरलता और सादगी को अपनाएं। संत पीपा महाराज ने गुरु को सर्वोपरि माना। उनके अनुसार, सही गुरु की कृपा से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। वे सत्य बोलने और अहिंसा के मार्ग पर चलने के पक्षधर थे।
श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के पूर्व सचिव पुखराज डाबी पादरू ने कहा, संत पीपा महाराज भक्ति आंदोलन के एक महान संत थे, जिन्होंने सामाजिक समानता, आध्यात्मिकता और सत्य की खोज को अपने जीवन का आधार बनाया। उनके विचार आज भी हमें एक सच्चा और आत्मिक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने जाति, धर्म और वर्ग के भेद को नकारा और सभी को एक समान माना। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सबके साथ प्रेम और समानता से पेश आएं। सामाजिक भेदभाव को दूर करने का प्रयास करें। राजा होते हुए भी उन्होंने राज-पाट त्याग कर संतों का जीवन अपनाया। यह त्याग की सबसे बड़ी मिसाल है। श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के पूर्व अध्यक्ष वस्तीमल सोलंकी बावतरा ने संत पीपा महाराज के बताए विचारों को आत्मसात कर आगे बढऩे की बात कही।