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हुबली

संत पीपा महाराज के विचारों को अपने जीवन की दिनचर्या और सोच का हिस्सा बनाएं

आज जब समाज में भौतिकता, स्वार्थ और भेदभाव की भावना बढ़ रही है, ऐसे समय में संत पीपा महाराज के विचारों को अपनाना और भी आवश्यक हो गया है। उनकी शिक्षा हमें आत्मनिरीक्षण, परस्पर प्रेम और समरसता का मार्ग दिखाती हैं। यदि हम उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारें, तो न केवल हमारा व्यक्तिगत जीवन संतुलित होगा, बल्कि समाज में भी शांति और सद्भाव का वातावरण बनेगा। इसलिए आवश्यकता है कि हम संत पीपा महाराज के विचारों को केवल पुस्तकों तक सीमित न रखें, बल्कि उन्हें अपने जीवन की दिनचर्या और सोच का हिस्सा बनाएं। पीपा जयंती के अवसर पर हुब्बल्ली (कर्नाटक) में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में समाज के लोगों ने अपने विचार रखे। प्रस्तुत हैं उनके विचार:

हुबलीApr 12, 2025 / 02:03 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

पीपा जयंती के अवसर पर हुब्बल्ली में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में उपस्थित समाज के लोग।

पीपा जयंती के अवसर पर हुब्बल्ली में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में उपस्थित समाज के लोग।

समाज में समानता, प्रेम और ईश्वरभक्ति का संदेश दिया
समाज के लोगों ने कहा कि संत पीपा महाराज ने सामाजिक भेदभाव, अंधविश्वास और बाह्य आडंबरों का विरोध करते हुए भक्ति मार्ग को अपनाया और समाज में समानता, प्रेम और ईश्वरभक्ति का संदेश दिया। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस समय थे। संत पीपा महाराज मानते थे कि सच्चा धर्म मन की पवित्रता, कर्म की शुद्धता और सभी प्राणियों के प्रति करुणा में निहित है। उन्होंने बाह्य आडंबरों और मूर्तिपूजा से हटकर आत्मचिंतन और अंतरात्मा की साधना पर बल दिया। वे कहते थे कि ईश्वर किसी विशेष स्थान या वस्तु में सीमित नहीं, वह प्रत्येक प्राणी के भीतर है।
12 वर्ष से मना रहे पीपा जयंती महोत्सव
श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के अध्यक्ष अनोप कुमार पडिय़ार कल्याणपुर ने कहा, पिछले 12 वर्ष से हम यहां हुब्बल्ली में पीपा जयंती महोत्सव मना रहे हैं। हर साल पीपा जयंती पर कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पीपा जयंती से एक दिन पूर्व सत्संग का आयोजन रखा जाता है। पीपा जयंती के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का आयोजन किया जाता है। इस बार भामाशाह ललीत कुमार महेन्द्र कुमार दैय्या की तरफ से महाप्रसादी का आयोजन रखा गया। श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक में समूचे उत्तर कर्नाटक के जिलों के समाज के लोग जुड़े हुए हैं। समाज की ओर से गुरू पूर्णिमा, दीपावली स्नेह मिलन समारोह, होली महोत्सव का आयोजन रखा जाता है। साल में चार बार क्रिकेट खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। अब समाज का भवन बनाने पर भी विचार चल रहा है। हर चैत्र पूर्णिमा के दिन समाज के होनहार विद्यार्थियों को सम्मानित करने की भी योजना है।
पीपा महाराज ने सरलता एवं सादगी का संदेश दिया
श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के कोषाध्यक्ष कैलाश कुमार परमार जाणियाणा ने कहा, समाज की ओर से पीपा जयंती महोत्सव हर साल धूमधाम से मनाया जा रहा है। राजस्थान के विभिन्न समाजों के प्रमुख गणमान्य लोगों को भी समारोह में आमंत्रित किया जाता है। राजस्थान से कर्नाटक आने वाले राजस्थान के प्रमुख लोगों का स्वागत भी किया जाता है। समाज की ओर से समय-समय पर धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिसमें समाज के लोग उत्साह के साथ भाग लेते हैं। पीपा महाराज के जीवन से हमें सीख मिलती है कि भौतिक लालच को छोड़कर संतोष में जीवन जिएं। सरलता और सादगी को अपनाएं। संत पीपा महाराज ने गुरु को सर्वोपरि माना। उनके अनुसार, सही गुरु की कृपा से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। वे सत्य बोलने और अहिंसा के मार्ग पर चलने के पक्षधर थे।
आत्मिक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं पीपा महाराज के विचार
श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के पूर्व सचिव पुखराज डाबी पादरू ने कहा, संत पीपा महाराज भक्ति आंदोलन के एक महान संत थे, जिन्होंने सामाजिक समानता, आध्यात्मिकता और सत्य की खोज को अपने जीवन का आधार बनाया। उनके विचार आज भी हमें एक सच्चा और आत्मिक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने जाति, धर्म और वर्ग के भेद को नकारा और सभी को एक समान माना। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सबके साथ प्रेम और समानता से पेश आएं। सामाजिक भेदभाव को दूर करने का प्रयास करें। राजा होते हुए भी उन्होंने राज-पाट त्याग कर संतों का जीवन अपनाया। यह त्याग की सबसे बड़ी मिसाल है। श्री पीपा क्षत्रीय दर्जी समाज सेवा ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के पूर्व अध्यक्ष वस्तीमल सोलंकी बावतरा ने संत पीपा महाराज के बताए विचारों को आत्मसात कर आगे बढऩे की बात कही।

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