दीवान माधोसिंह: जहां भी सीरवी समाज के लोगों की 15-20 दुकानें हुईं। वहां जमीन लेकर वढ़ेर का निर्माण करवाया जाता है। यह परम्परा वर्षों से चल रही है। यही वजह है कि देश में आज आठ सौ से अधिक आई माता वढ़ेर बन चुकी है। सभी वढेर में सामूहिक योगदान रहता है। साढ़े पांच सौ वर्ष से धर्म के लिए लोग योगदान करते रहे हैं। खास बात यह है कि सभी वढ़ेर आत्मनिर्भर है। हर वढ़ेर में प्रति सदस्य प्रति माह 500 रुपए से लेकर एक हजार रुपए का सहयोग करते हैं। इससे व्यवस्थाएं सुचारू बनी रहती है। हर वढ़ेर के रखरखाव एवं बेहतर संचालन के लिए ट्रस्ट या कमेटी बनी हुई है। मध्यप्रदेश के सात जिलों में करीब 280 वढ़ेर है। बेंगलूरु में 65 और चेन्नई में 55 वढ़ेर है।
दीवान माधोसिंह: सीरवी समाज का सबसे बड़ा धाम राजस्थान के जोधपुर जिले के बिलाड़ा में हैं। अब दक्षिणी भारत के तिरुपति में आई माता वढ़ेर का निर्माण किया जा रहा है। तिरुपति में करीब तीस हजार स्क्वायर फीट परिसर के अन्दर वढ़ेर बनाई जा रही है। अगले एक साल में निर्माण पूरा होने की संभावना है। तिरुपति में आईमाता वढ़ेर के साथ ही भवन बनाया जा रहा है। इससे दक्षिणी भारत के राज्यो में निवास कर रहे सीरवी समाज के लोगों को सुविधा होगी।
दीवान माधोसिंह: अब समाज के होनहार छात्रों को आगे ले जाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। समाज के छात्रों को गाइडेंस देने एवं उन्हें कम्पीटिशन की तरफ मोड़ा जा रहा है। नई पीढ़ी शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही है।
दीवान माधोसिंह: समाज के सार्वजनिक, सामाजिक-धार्मिक आयोजनों में नशे पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। अब किसी सार्वजनिक मंच पर नशा नहीं हो रहा है। यह समाज में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।
दीवान माधोसिंह ने बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की शिक्षा हासिल की। बाद में कुछ समय तक जापान में रहे। राजस्थान की राजनीति में लम्बे समय तक सक्रिय रहे। पांच बार विधायक रहे। राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। सीरवी समाज के धर्मगुरु के रूप में समाज उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत है।