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हुबली

समाज में एकता और सद्भाव के बीज बोए, नशामुक्त समाज को दी प्राथमिकता

संत देवाराम महाराज का धार्मिक-सामाजिक क्षेत्र में योगदान विषयक राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में चौधरी आंजणा पटेल समाज के लोगों ने संत देवाराम महाराज के आध्यात्मिक जीवन, सामाजिक योगदान और प्रेरक विचारों को किया साझा

हुबलीJun 14, 2025 / 09:05 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

हुब्बल्ली (कर्नाटक) में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते चौधरी आंजणा पटेल समाज के लोग।

हुब्बल्ली (कर्नाटक) में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते चौधरी आंजणा पटेल समाज के लोग।

सेवा और सरलता के प्रतीक संत देवाराम महाराज शिकारपुरा ने समाज में एकता और सद्भाव के बीज बोए। वे शोषितों और जरूरतमंदों की सेवा को जीवन का परम लक्ष्य मानते थे। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज को प्रेरणा देती हैं। संत राजेश्वर भगवान के शिष्य संत देवाराम महाराज की 29 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धा और सम्मान से उन्हें स्मरण किया गया। इस मौके पर संत देवाराम महाराज के जीवन मूल्यों को याद किया गया। संत देवाराम महाराज का धार्मिक-सामाजिक क्षेत्र में योगदान विषयक परिचर्चा में चौधरी आंजणा पटेल समाज के लोगों ने अपने विचार रखे। हुब्बल्ली के राजेश्वर भगवान मंदिर परिसर में आयोजित परिचर्चा में समाजजनों ने उनके आध्यात्मिक जीवन, सामाजिक योगदान और प्रेरक विचारों को साझा किया। समाजजनों ने संत की शिक्षाओं को आत्मसात करने का संकल्प लिया। प्रारम्भ में राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली के संपादकीय प्रभारी अशोक सिंह राजपुरोहित ने संत देवाराम महाराज के समाज में दिए गए योगदान को रेखांकित किया। प्रस्तुत है परिचर्चा के प्रमुख अंश:
नैतिक शिक्षा और आध्यात्मिक जागृति
श्री आंजणा पटेल समाज सेवा संघ हुब्बल्ली-धारवाड़ के सचिव वगताराम तरक पारलु ने कहा, हम संत देवाराम महाराज के दिखाए मार्ग पर चलें और समाजहित में कार्य करें। समाज को संगठित एवं मजबूत बनाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही। संत देवाराम महाराज का जीवन प्रेरणा का स्त्रोत है। उन्होंने समाज को न केवल आध्यात्मिक मार्ग दिखाया, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जागरूकता फैलाकर समाज को एक नई दिशा दी। आज भी उनके विचार और आदर्श समाज को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा देते हैं। संत देवाराम महाराज ने सच्चे धार्मिक आचरण पर बल दिया। उन्होंने लोगों को कर्म, संयम, सादगी और सेवा को जीवन का मूल आधार बनाने की प्रेरणा दी। उनके सत्संगों में दूर-दूर से लोग आते और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते।
पारिवारिक मूल्यों की स्थापना
श्री आंजणा पटेल समाज सेवा संघ, हुब्बल्ली-धारवाड़ के उपाध्यक्ष मूलाराम सोलंकी झूंझाणी ने कहा, संत देवाराम महाराज ने परिवार को संस्कारों की पाठशाला माना। उन्होंने माता-पिता और गुरुजनों के सम्मान, सच्चाई, ईमानदारी, और परिश्रम के गुणों को घर-घर तक पहुंचाया। हर कोई उनके विचारों से प्रभावित है। संत राजाराम महाराज द्वारा शुरू किए गए सात्विक कार्यों को पूरा करने में अपना संपूर्ण जीवन लगाकर वे अथक प्रयत्न करते रहे। नशामुक्त समाज के लिए सदैव प्रयत्न करते रहे।
सामाजिक सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान
श्री आंजणा पटेल समाज सेवा संघ, हुब्बल्ली-धारवाड़ के प्रवक्ता किशोर पटेल गोलिया चौधरियान ने कहा, संत देवाराम महाराज ने अपने गुरुभाई लच्छीराम, गणेशराम और शंभुराम के साथ भ्रमण करते हुए संत राजाराम महाराज के उपदेशो को संसारियों तक पहुंचाने का प्रयत्न करने में अपना जीवन लगा दिया। संत राजाराम महाराज के शुरू किए हुए काम को पूरा करने में अपना जीवन लगाकर अथक प्रयत्न करते रहे। संत देवाराम महाराज ने शिक्षा को बढ़ाने के लिए जोर दिया। नशामुक्त समाज के लिए उन्होंने विशेष कार्य किया। संत राजेश्वर भगवान के उपदेशों को आगे फैलाने का कार्य किया। संत देवाराम महाराज का जीवन समाज को जागरूकता, नैतिकता और सेवा के मार्ग पर प्रेरित करने वाला रहा है। उन्होंने न केवल आध्यात्मिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक सुधार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका कार्य विशेष रूप से ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में समाज को संगठित करने और नशा जैसी बुराइयों से मुक्त कराने की दिशा में उल्लेखनीय रहा।
युवाओं में चेतना का संचार
बिजनेसमैन समरथाराम कूकल थोब ने कहा, हम देवझूलनी ग्यारस के दिन शिकारपुरा जाते थे। तब संत देवाराम महाराज सभी से कुशलक्षेम पूछते थे। उनका संवाद रहता था कि सभी भोजन-प्रसादी लेकर जाएं। उन्होंने युवाओं को अपने जीवन का उद्देश्य समझने और समाज सेवा में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था कि जब युवा सही दिशा में होंगे, तभी समाज प्रगति करेगा।
नशामुक्ति आंदोलन के अगुवा
बिजनेसमैन तेजाराम तरक पारलू ने कहा, समाज को आगे ले जाने में संत देवाराम महाराज का योगदान सदैव रहा। भक्तिभाव में उनका अधिक समय बीतता था। संत देवाराम महाराज ने जीवनभर नशे के खिलाफ अभियान चलाया। उन्होंने ग्रामीण अंचलों में लोगों को तंबाकू व अन्य मादक पदार्थों से दूर रहने की प्रेरणा दी। उनके नेतृत्व में कई गांवों ने सामूहिक रूप से नशा छोडऩे का संकल्प लिया।
समाज सुधारक की भूमिका
बिजनेसमैन केवलराम ठां बागलोप ने कहा, मुझे कई बार संत देवाराम महाराज के दर्शन का सौभाग्य मिला। जब शिकारपुरा में जागरण होता था जब उस समय ट्रैक्टरों में बैठकर भक्तगण शिकारपुरा पहुंचते थे। रात में जागरण सुनते थे। संत देवाराम महाराज ने शिक्षा पर भी खूब जोर दिया था। वे बहुत सरल स्वभाव के थे। उन्होंने जाति-पांति के भेदभाव को खत्म कर सभी वर्गों को समान दृष्टि से देखने की शिक्षा दी। उनके प्रवचनों में सामाजिक एकता, भाईचारे और आपसी सहयोग का संदेश स्पष्ट झलकता था।
संस्कारों से युवाओं को किया प्रेरित
बिजनेसमैन कानाराम कूकल खाखरलाई ने कहा, मैंने कई बार संत देवाराम महाराज के दर्शन किए। वे ऐसे संत थे जो चौबीस घंटे भक्ति में लीन रहते थे। संत देवाराम महाराज न केवल आध्यात्मिक गुरु बल्कि समाज सुधारक भी रहे। उन्होंने जीवनभर नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाई और विशेष रूप से युवाओं को नशे की लत से दूर रहने का संदेश दिया। उनके प्रवचनों और जनजागृति अभियानों ने हजारों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया।

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