उन्होंने जीवन के मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बंधन जीवन में जरूरी है। बंधन नहीं होगा तो पता ही नहीं चलेगा कि जीवन कब निकल गया। इंसान सत्य को स्वीकार करना नहीं चाहता। झूठ जितना फैलाओ, भीड़ उतनी ही बढ़ती है, लेकिन सत्य को कोई स्वीकार नहीं करता। जीवन में गुरु बनाओ, वही सत्य की ओर ले जाएगा। जो आपको भ्रमित करे, वह गुरु नहीं।
समर्पण और तपस्या के महत्व पर जोर देते हुए कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण ने कहा कि समर्पण भाव होगा, जीवन तपेगा तभी परमात्मा दर्शन देंगे। भगवान भक्तों के वश में हैं। हम तो सेवक हैं, ह्रदय में प्रेम और भाव लेकर जो बन पड़ता है, करते हैं। उन्होंने श्रोताओं को यह भी समझाया कि ग्रंथ बताते हैं कि परमात्मा से कैसे जुडऩा है और जीवन कैसे जीना है। मोक्ष और माया का फर्क समझो। मोह मत करो, मोह है कि सब मेरा ही है। प्रेम वह है जब सब कुछ निछावर करने का मन करे। भक्ति और अंधविश्वास में फर्क बताते हुए उन्होंने कहा कि दृष्टि खोलकर रखो। भक्ति भाव है, अंधविश्वास नहीं। राजा बली जैसा दानी कोई नहीं, जरूरतमंद को देना भी दान है। प्रवचन के दौरान श्रद्धालु भावविभोर हो गए और कथा स्थल में भक्ति रस की गूंज देर तक बनी रही।
कथावाचिका का सम्मान
बाबा रामदेव मरूधर सेवा संघ हुब्बल्ली के सचिव एवं कथा के चेयरमैन मालाराम देवासी बिठूजा ने बताया कि बुधवार को सनातन सेवा संगठन चैरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण का सम्मान किया। इस मौके पर सनातन सेवा संगठन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, सचिव अशोक अग्रवाल, कांतिलाल राजपुरोहित के साथ ही बाबूलाल सीरवी, चम्पालाल सोनी, नवीन देवासी, भगवान प्रजापति, कैलाश सुथार, रामरतन चौधरी, हीरालाल राजपुरोहित, नैनसिंह राजपुरोहित, जेठाराम श्रीमाली, प्रवीणसिंह राजपुरोहित, धर्मेन्द्र माली कोसेलाव, केसाराम चौधरी हरजी समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।