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हुबली

फूलों से सजे दरबार में गूंजा शिवमहापुराण का संदेश, त्याग और संस्कार से ही जीवन सार्थक

अयोध्या से पधारीं कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण ने कहा, कुछ संकल्प लें, त्याग की भावना अपनाएं। जब त्याग आएगा, जीवन अपने आप सरल हो जाएगा।

हुबलीJul 21, 2025 / 06:18 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

हुब्बल्ली में आयोजित शिवमहापुराण कथा का श्रवण करतीं महिलाएं।

हुब्बल्ली में आयोजित शिवमहापुराण कथा का श्रवण करतीं महिलाएं।

श्रावण मास के पावन अवसर पर श्री बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के तत्वावधान में आयोजित शिवमहापुराण एवं नानीबाई का मायरा कथा महोत्सव केे तहत कथावाचिका ने कहा कि कथा तभी सार्थक है जब उसे जीवन में उतारा जाए। शिवमहापुराण के नियम सरल हैं और कलयुग के लिए उपयोगी। भोलेनाथ को कोई चढ़ावा चाहिए ही नहीं। जो आपके पास है, वही अर्पित कर दीजिए। अपनी बुराइयां भी अर्पित कर सकते हैं।
शिवमहापुराण की शिक्षा
हुब्बल्ली (कर्नाटक) के गब्बूर गली स्थित बाबा रामदेव मंदिर परिसर में आयोजित कथा में उन्होंने कहा कि मनुष्य चंचल है, अपना लाभ पहले देखता है। संसार के लोगों से अपेक्षा न रखें। शिवजी ने संसार का सारा विष अपने गले में उतार लिया, यह सच्चे प्रेम का उदाहरण है। भगवान राम राजमहल में रहकर भी धरती पर सोए, यह त्याग है।
मिलकर आगे बढऩे से ही समाज होगा सक्षम
शिवमहापुराण कथा के दूसरे दिन कथावाचिका ने भावपूर्ण प्रवचन में कहा, प्रभु का कार्य किसी एक के बस का नहीं। धर्म का संदेश कानों से होकर हृदय में उतरता है। समाज तभी सक्षम होगा जब हम सब मिलकर आगे आएं। बंटेंगे तो कुछ नहीं होगा। कथावाचिका ने कहा कि जिन देशों में हिंदू बहुसंख्यक हैं, उनमें भी कोई देश हिंदू राष्ट्र नहीं है। हमारा देश मानवता और मिल-जुलकर रहने का संदेश देता है।
बेटी और संस्कार पर विशेष संदेश
कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण ने कहा, आज बेटी सुरक्षित नहीं है। जब तक बेटी घर नहीं लौटती, चैन नहीं मिलता। यह हम सबके लिए चिंता का विषय है। अपनी संतान में संस्कार डालिए। बच्चे घर से ही सीखते हैं। यदि घर का माहौल ठीक नहीं होगा तो वृद्धाश्रम बढ़ते जाएंगे।
स्त्री के प्रति सम्मान की सीख
उन्होंने कहा, स्त्रियों पर लांछन लगाना आसान है, पर उन्होंने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित किया है। भगवान से सीखना है तो अच्छी बातें सीखें। जीवन में नियम अपनाइए। जब तक त्याग नहीं करेंगे, तब तक कुछ प्राप्त नहीं होगा। उपवास केवल अन्न का नहीं, विचारों का भी कीजिए।
मेरे राधा रमण….
फूलों से सजाया दरबार गजानन आ जाना….., मेरे राधा रमण गिरधारी गिरधारी श्याम बनवारी……समेत अन्य भजनों की प्रस्तुति पर श्रोताओं ने पूरा साथ दिया और सुर में सुर मिलाएं। वातावरण में भजनों की मधुर ध्वनि ने कथा की भव्यता को और बढ़ा दिया।
कई गणमान्य लोग थे उपस्थित
श्री बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के सचिव मालाराम देवासी बिठूजा के साथ ही केसाराम चौधरी हरजी, रामलाल जणवा चौधरी, जालमसिंह देवड़ा, पर्बतसिंह खींची, वेलाराम घांची, बस्तीमल दर्जी, जेठाराम श्रीमाली, सुरेश सेन, तेजाराम सीरवी समेत कई गणमान्य लोग कथा में मौजूद रहे।
आरती के साथ की शुरुआत
कथा के चेयरमैन एवं श्री बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के सचिव मालाराम देवासी बिठूजा ने बताया कि कथा का समय रोजाना सायं 3 से 6 बजे तक रखा गया है। शहर के विभिन्न इलाकों से भक्तगण कथा में शामिल हो रहे हैं। आरती के साथ कथा की शुरुआत की गई।

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