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हुबली

आस्था और भक्ति के रंग में रंगा शिवमहापुराण कथा का दरबार

हुब्बल्ली (कर्नाटक) के रामदेव मंदिर परिसर में चल रही शिवमहापुराण में मधुर भजनों और उत्साहपूर्ण नृत्यों के बीच अयोध्या से पधारीं कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण ने शिवमहापुराण के गूढ़ संदेशों को सरल शब्दों में समझाया। उन्होंने कहा कि भगवान शिव जितने सरल देव हैं, उतना सरल कोई और नहीं तथा शिवमहापुराण जितना सरल और कोई ग्रंथ नहीं।

हुबलीJul 22, 2025 / 07:21 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

हुब्बल्ली (कर्नाटक) में भक्तिमय वातावरण में शिवमहापुुराण का श्रवण करती महिलाएं।

हुब्बल्ली (कर्नाटक) में भक्तिमय वातावरण में शिवमहापुुराण का श्रवण करती महिलाएं।

समर्पण का भाव हो तो बुराइयां भी क्षम्य
श्रावण मास के पावन अवसर पर श्री बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के तत्वावधान में आयोजित शिवमहापुराण केे तहत कथावाचिका ने उदाहरण देते हुए कहा, रावण बड़ा ज्ञानी था, ब्राह्मण था, पुरोहित था, वेद-पुराण उसे कंठस्थ थे और वह शिवजी की आराधना भी करता था। लेकिन उसमें अभिमान था। रावण का अभिमान ही उसे राक्षस बना गया। भगवान और भक्त के बीच समर्पण का भाव हो तो बुराइयां भी क्षमा हो जाती हैं। घर में पधारो गजानंदजी.. की मंगल ध्वनि के साथ कथा का शुभारंभ हुआ। महिलाओं ने भजनों की सुमधुर प्रस्तुति देकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। भजनों की मधुर लहरियों में कुछ महिलाएं तो नृत्य करने पर विवश हो गईं। इसके बाद शिवमहापुराण कथा का श्रवण आरंभ हुआ, जहां कथावाचिका ने गहन आध्यात्मिक संदेश दिए।
चिंतन-मनन भी करें
कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण ने कहा, हरि की कृपा होती है, तभी ऐसे अनुष्ठान संपन्न होते हैं। परमात्मा की कृपा सभी पर नहीं होती। किसी में सामथ्र्य नहीं कि वह स्वयं परमात्मा को चुन ले। अनुष्ठान और कथाओं में अक्सर माताओं-बहनों की उपस्थिति अधिक रहती है, यह उनकी श्रद्धा का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा, आप शिवमहापुराण कथा का श्रवण कर रहे हैं, लेकिन केवल श्रवण ही नहीं, चिंतन-मनन भी करना चाहिए। भजन और मनन में अंतर है। नित भगवान के चरणों में जो समर्पित हो, वह भजन है और जो हृदय में उतरे, वही मनन है। यदि जीवन में चिंतन और मनन नहीं, तो मानव देह मिलने का कोई अर्थ नहीं। भक्ति में कोई मिलावट नहीं होनी चाहिए, तभी प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।
शिवमहापुराण में 24 हजार श्लोक
कथावाचिका ने बताया, शिवजी ने स्वयं शिवमहापुराण की कथा कही है। देवों के देव महादेव हैं। शिवमहापुराण में 24 हजार श्लोक हैं और शिवजी ने रामायण का भी गायन किया है। शिवजी माता पार्वती को कैलाश पर्वत पर रामकथा सुना रहे थे, रामजी ने अपने जीवन में शिव की आराधना की। देवों के देव होते हुए भी शिवजी कितने सरल हैं। उन्होंने कहा, संसार में जब-जब संकट आएगा, शिवजी स्वयं पधारेंगे। शिवमहापुराण और वाल्मीकि रामायण, दोनों में 24-24 हजार श्लोक हैं। ब्रह्म गायत्री मंत्र में 24 शब्द हैं। इस मंत्र का एक लाख बार मनन करने से जितना पुण्य मिलता है, उतना पुण्य एक बार शिवमहापुराण का श्रवण करने से प्राप्त हो जाता है। कथावाचिका सुभद्रा कृष्ण ने कहा, शिवजी एक लौटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। जो कुछ भी उपलब्ध हो, शिवजी को अर्पित कर देना चाहिए। भगवान सदैव भक्तों के वश में रहते हैं। भक्ति में कोई मिलावट नहीं होनी चाहिए।
विभिन्न स्थानों से आ रहे भक्तगण
श्री बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के सचिव एवं कथा के चेयरमैन मालाराम देवासी बिठूजा ने बताया कि कथावाचिका सरल शब्दों में शिवमहापुराण का श्रवण करा रही हैं। कथा श्रवण के लिए शहर के विभिन्न इलाकों सेे महिला, पुरुष एवं बच्चे पहुंच रहे हैं। कथा के दौरान मंगलवार को श्री बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के केसाराम चौधरी हरजी, बस्तीमल दर्जी, रामलाल झणवा चौधरी, तेजाराम सीरवी, जेठाराम श्रीमाली, रावतसिंह राजपुरोहित समेत अन्य भक्तगण मौजूद रहे। कथा के प्रारम्भ में आरती की गई।

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