बुरहानपुर जिला मुख्यालय की सीमा से गुजरने वाले इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाइवे की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। यहां पहाड़ का सीना चीरकर रास्ता निकाला गया है। लंबे समय बाद हाइवे पर सफर करने वाले लोग चौड़े हाईवे और निर्माण को देखकर हैरान हो रहे है।
निंबोला से असीर तक सबसे अधिक अंधे मोड़ होने के कारण हादसे होते थे,लेकिन अब रोड इतना चौड़ा है कि एक साथ तीन ट्रक निकल रहे हैं। अधिकांश स्थानों पर पुल निर्माण के लिए पिलर भी खड़े कर दिए गए हैं। हालांकि निर्माण की धीमी गति के कारण गड्ढे, धूल, मिट्टी से वाहन चालक परेशान हो रहे हैं।
इंदौर के तेजाजीनगर से शुरू होकर खरगोन, बलवाड़ा से धनगांव से बोरगांव से बुरहानपुर, इच्छापुर से जलगांव के मुक्ताईनगर से होते हुए यह रोड आगे जाएगी। बोरगांव से धनगांव का काम पूरा होने के करीब है। बुरहानपुर के पास असीर, झिरी, दर्यापुर और शाहपुर के पास ओवरब्रिज निर्माण के लिए पिलर खड़े हो गए हैं।
768 किमी लंबे इस एक्सप्रेस के बन जाने के बाद इंदौर से बुरहानपुर और हैदराबाद की दूरी बहुत कम हो जाएगी। एनएचआई द्वारा प्रोजेक्ट मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया लेकिन निर्माण की गति धीमी होने के कारण अभी इसमें एक साल से ज्यादा समय लग सकता है।
इंदौर-हैदराबाद एक्सप्रेस वे बुरहानपुर शहर में प्रवेश नहीं करेगा। हाइवे पर खंडवा रोड से ग्राम झिरी से डायवर्ट किया जा रहा है। बसाड़ रोड से आगे से दर्यापुर रोड से होते हुए शाहपुर की ओर निकाला जा रहा है। इससे शहर में बड़े वाहन प्रवेश नहीं करेंगे। दुर्घटनाओं में कमी आएगी। दो बड़े ब्रिज बनेंगे एक ताप्ती नदी पर दूसरा मोहना नदी पर है।
हाइवे निर्माण के दौरान पहाड़ों की खुदाई होने से अधिकांश जगहों पर ब्लैक स्पॉट ही खत्म हो गए। यहां पर अब वाहन अनियंत्रित होकर पलटने से लेकर दुर्घटनाओं का ग्राफ पिछले साल की तुलना में कम हो गया।
इंदौर-हैदराबाद एक्सप्रेस हाइवे एक नजर
लागत 15 हजार करोड़
लंबाई 768 किमी की
150 किमी घट जाएगी दूरी