pea farming : संभाग में मौसम मौसम बार-बार बदल रहा है। फरवरी में ही अचानक गर्मी बढ़ जाने से मटर की फसल में रस्ट नाम का रोग लग रहा है। बीते साल जनवरी में यह समस्या सामने आई थी। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ था। इस बार भी फसल पर पीले, भूरे रंग के धब्बे उभरने लगे हैं। हालांकि, मटर की वैरायटी चयन को लेकर भी आशंका है।
मटर जिले की नकदी फसल मानी जाती है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है। मझौली, सिहोरा, पाटन क्षेत्र में इस रोग के लक्षण फसलों में दिख रहे रहे हैं। पत्तियों पर चकत्ते और स्पॉट बन रहे हैं। इससे पौधों की वृद्धि प्रभावित हो रही है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह रोग वैरायट चयन की गड़बड़ी के कारण भी हो सकता है। सही रोग प्रतिरोधी वैरायटी का चुनाव न होने से फसल पर रोग का हमला बार-बार हो रहा है। जरूरी है कि बीजों में सुधार किया जाए और ऐसी वैरायटी विकसित की जाए जो इस रोग के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो।
pea farming : रात में सर्दी से राहत
फरवरी के महीने में ही गर्मी ने दस्तक दे दी है। बीते एक सप्ताह से दिन का पारा लगातार 30 डिग्री के पार चल रहा है। रात में भी ठंड गायब है। मौसम विभाग की मानें, तो आने वाले कुछ दिनों में मौसम के अलग अलग रूप देखने को मिल सकते हैं। वेस्टर्न डिस्टरबेंस साइक्लोनिक सर्कुलेशन के असर से शुक्रवार को जबलपुर सहित सभाग के जिलों में बादल छा सकते हैं। अलग अलग स्थानों पर सक्रिय मौसम प्रणालियों के असर से 21 फरवरी को जबलपुर सभाग के जिलों सहित पूर्वी मध्यप्रदेश में बूंदाबांदी हो सकती है। गुरुवार रात न्यूनतम तापमान 15 डिग्री से घटकर 14.2 डिग्री दर्ज किया गया। यह सामान्य था। दिन में चटक धूप के चलते अधिकतम तापमान 31.5 डिग्री दर्ज किया गया।
pea farming : रस्ट रोग लगने का मामला प्रकाश में आया है। यह किन वैरायटियों में सामने आया है, इस पर कृषि वैज्ञानिकों को अनुसंधान करने की आवश्यकता है।
ब्रजेश अरजरिया, कृषि विशेषज्ञ, बोर्ड मेबर कृषि विश्वविद्यालय
pea farming : पिछले साल की तरह इस बार भी यह रोग दोबारा सामने आया है। बीते साल इस रोग से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। कृषि विभाग को सूचित किया गया है।
राजीव पटेल, किसान आरक्षा
pea farming : मटर की फसल में रस्ट रोग के लक्षण देखे जा रहे हैं। पत्तियों की जांच कृषि विज्ञान केंद्र में कराने के लिए कहा गया है।