30 अप्रैल को मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह की संभावनाओं को देखते हुए शासन ने इस दिन विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। पंचायत प्रतिनिधियों, समाज के प्रमुख नागरिकों और संबंधित विभागों से सहयोग की अपील की गई है। यदि कहीं बाल विवाह की सूचना मिलती है तो तत्काल चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, महिला हेल्पलाइन 181, ईआरएसएस 112 या नजदीकी थाने को सूचित करने की अपील की गई है।
प्रशासनिक तैयारी व पंचायत स्तर पर निगरानी
महिला एवं बाल विकास विभाग ने कलेक्टरों, एसपी, सीईओ जनपद पंचायत और अन्य अधिकारियों को विवाह निगरानी के लिए निर्देशित किया है। ग्राम स्तर पर कोटवार, पटवारी, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य सरकारी अमले को भी सक्रिय रूप से जोड़ा गया है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में विवाह रजिस्टर बनाए जाने और सभी विवाहों के अनिवार्य पंजीयन के निर्देश दिए गए हैं। सरकार गांव-गांव जाकर मुनादी, दीवार लेखन, रैली, पंपलेट वितरण, वाद-विवाद और निबंध प्रतियोगिताओं के जरिए समाज को जागरूक कर रही है। इन प्रयासों का सकारात्मक परिणाम यह रहा कि वर्ष 2025 में अब तक कुल 337 बाल विवाह रोके जा चुके हैं।
राज्यभर में 13,794 अधिकारी बनाए गए सीएमपीओ
CG News: राज्य सरकार ने ग्राम सचिव, बाल विकास परियोजना अधिकारी, सेक्टर पर्यवेक्षक और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (सीएमपीओ) नियुक्त किया है। कुल 13,794 अधिकारियों को इस कार्य के लिए अधिसूचित किया गया है। योजना के तहत प्रत्येक पंचायत और नगरीय निकाय को बाल विवाह मुक्त घोषित कर प्रमाण-पत्र देने की भी तैयारी है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष और 18 वर्ष से कम आयु की बालिका का विवाह अपराध है। इसमें दो वर्ष तक की सजा, एक लाख रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। विवाह आयोजनों में बाल विवाह पाए जाने पर वर-वधु के अभिभावकों, रिश्तेदारों, बारातियों और पुरोहितों पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।