रूपांतरण की लंबी प्रक्रिया के कारण कई प्रोजेक्ट्स के लिए दूसरी जमीन देखनी पड़ रही है। अक्षय ऊर्जा निगम ने राज्य सरकार को लीज एग्रीमेंट के लिए नियमों में रियायत देने की जरूरत जताई है। अभी भू-रूपांतरण प्रक्रिया में चार से छह माह लग रहे हैं। इसकी समय सीमा घटाने की मांग की है।
पीएम सलाहकार को भी बता चुके स्थिति
कुछ माह पहले जयपुर में प्रधानमंत्री के सलाहकार तरुण कपूर ने अक्षय ऊर्जा में काम कर रही बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग की थी। इसमें सोलर पार्क डवलपर्स ने यह मामला उठाया था। उनका कहना था कि बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए बड़ी जमीन चाहिए, लेकिन बीच-बीच में एससी-एसटी की जमीन भी आती है। ऐसे में भू-रूपांतरण की प्रक्रिया तेज हो। यहां आई दिक्कत
बीकानेर, जालौर और जैसलमेर में कई जगह ऐसी दिक्कत आई है। निगम अधिकारियों के मुताबिक छोटे-बड़े सहित करीब पांच सौ प्रोजेक्ट्स हैं, जो प्रभावित हैं। इनमें से ज्यादातर ने भू-रूपांतरण के लिए आवेदन किया हुआ है।
पहले ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए एप्रोच रोड होने की अनिवार्यता था, लेकिन डवलपर्स की मांग के बाद इसमें रियायत दी। अब एप्रोच रोड की बंदिश नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि मूल समस्या अब भी बरकरार है। राजस्थान सोलर एसोसिएशन के सुनील बंसल का कहना है कि अक्षय ऊर्जा निगम के जरिए सरकार तक मांग पत्र पहुुंचाया गया है। पीएम सूर्य घर योजना हो या फिर बड़े प्रोजेक्ट्स… ज्यादातर इसी से प्रभावित हैं।