स्वास्थ्य विभाग ने किया खुलासा
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने बताया कि गत 15 दिसंबर 2024 से 31 जनवरी 2025तक राज्यभर में 3,219 मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य शिविर आयोजित किए गए। इन शिविरों में 11 लाख 57 हजार से अधिक लोगों की विभिन्न बीमारियों की स्क्रीनिंग की गई। कैंसर की जांच के अलावा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, टीबी और आंखों की बीमारियों की भी स्क्रीनिंग की गई। स्वास्थ्य विभाग के इस अभियान ने कई लोगों की गंभीर बीमारियों को शुरुआती चरण में ही पहचानने में मदद की, जिससे समय पर इलाज संभव हो सकेगा।
कैंसर स्क्रीनिंग में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े
शिविरों में 2 लाख 73 हजार से अधिक लोगों की ओरल कैंसर स्क्रीनिंग में 5,299 संभावित मरीज मिले। 1 लाख 17 हजार 409 महिलाओं की ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग में 1,799 और लगभग 60 हजार मरीजों की सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग में 912 संभावित रोगी पाए गए। यह आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, और इसे रोकने के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता और चिकित्सा सेवाओं का विस्तार जरूरी है।
नाक, कान, गला और दंत रोगों की स्क्रीनिंग में भी गंभीर आंकड़े
स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में नाक, कान और गले से जुड़ी बीमारियों की जांच भी की गई। 1 लाख 39 हजार मरीजों की स्क्रीनिंग में 35 हजार से ज्यादा संभावित रोगी पाए गए। इसी तरह, 1 लाख 36 हजार से ज्यादा लोगों की दंत और मुंह की बीमारी की स्क्रीनिंग में करीब 40 हजार संभावित रोगी मिले। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रदेश में केवल कैंसर ही नहीं, बल्कि अन्य गंभीर बीमारियां भी तेजी से फैल रही हैं। मधुमेह और उच्च रक्तचाप: एक और बड़ी चिंता
शिविरों में 5 लाख से अधिक लोगों की मधुमेह जांच की गई, जिसमें 62 हजार से अधिक लोग पॉजिटिव पाए गए। इसी तरह, 5 लाख 25 हजार से अधिक मरीजों की बीपी स्क्रीनिंग में 68 हजार से अधिक लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित मिले। यह आंकड़े साबित करते हैं कि राजस्थान में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां भी बड़ी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं।
गर्भवती महिलाओं और नेत्र स्वास्थ्य पर भी ध्यान
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि शिविरों में 44 हजार से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गई और 16 हजार से अधिक महिलाओं को टीके लगाए गए। 1 लाख 32 हजार से अधिक योग्य दंपत्तियों को परिवार कल्याण साधन उपलब्ध कराए गए। इसके अलावा, 31 से अधिक मोतियाबिंद मरीजों और 38,875 लोगों को रिफ्रेक्टिव एरर की जांच के बाद उपचार दिया गया। साथ ही, लगभग 4,500 लोगों को नि:शुल्क चश्मे वितरित किए गए। इससे पता चलता है कि प्रदेश में नेत्र स्वास्थ्य की स्थिति भी चिंता का विषय बनी हुई है।
टीबी और कुष्ठ रोग की स्क्रीनिंग के नतीजे
राज्य में टीबी स्क्रीनिंग के तहत 81,774 लोगों की जांच की गई, जिसमें 1,518 लोग टीबी पॉजिटिव मिले। साथ ही, निक्षय पोषण योजना के तहत 8,651 रोगियों को लाभान्वित किया गया। इसके अलावा, कुष्ठ रोग के लिए 30,818 लोगों की स्क्रीनिंग की गई।
एलोपैथी और आयुष चिकित्सा पद्धति से इलाज
शिविरों में विभिन्न रोगों से ग्रसित पाए गए 6,53,249 मरीजों को एलोपैथी पद्धति से और 1,89,761 मरीजों को आयुष पद्धति से उपचारित किया गया। डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की ओर बढ़ते कदम
राज्य सरकार डिजिटल हेल्थकेयर को भी बढ़ावा दे रही है। शिविरों में 1 लाख 68 हजार से अधिक आभा आईडी तैयार की गईं और 1,93,099 लोगों का आभा ऐप पर रजिस्ट्रेशन किया गया। 9,253 स्वास्थ्य कर्मियों की एचपीआईडी भी तैयार की गई। इससे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल रूप से सुगम और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।
खाद्य सुरक्षा और लाइसेंसिंग पर भी विशेष ध्यान
मोबाइल फूड टेस्टिंग लैब के जरिए 3,729 खाद्य सैंपल लेकर मौके पर जांच की गई। 906 खाद्य कारोबारियों का रजिस्ट्रेशन और 309 को लाइसेंस जारी किए गए। यह अभियान खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
क्या है आगे की योजना?
राज्य सरकार अब कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग को और व्यापक बनाने की योजना बना रही है। इसके लिए अस्पतालों में अत्याधुनिक मशीनों की व्यवस्था की जा रही है और ग्रामीण इलाकों में विशेष स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा, आम जनता को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर कैंपेन चलाया जाएगा।
बढ़ती संख्या स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती
राजस्थान में कैंसर और अन्य बीमारियों की बढ़ती संख्या स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन रही है। यह आवश्यक हो गया है कि लोग नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे शिविरों में अधिक से अधिक भाग लेकर लोग अपनी स्वास्थ्य समस्याओं की समय पर पहचान कर सकते हैं। इस व्यापक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि समय पर जांच और उपचार से गंभीर बीमारियों को रोका जा सकता है।