1187 राशन कार्ड और 3000 यूनिट पहले ही हटाए जा चुके जिला रसद अधिकारी शशि शेखर शर्मा ने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक जिले में 1187 राशन कार्ड और 3000 यूनिट हटाए जा चुके हैं। वहीं निष्कासित श्रेणी में शामिल 60 परिवारों को विभाग की ओर से नोटिस जारी किया गया है।
कौन से परिवार हैं अपात्र? खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर किए जाने योग्य परिवारों के लिए विभाग ने स्पष्ट गाइडलाइन जारी की है। जिन परिवारों में कोई आयकर दाता हो, वार्षिक पारिवारिक आय 1 लाख रुपए से अधिक हो, किसी सदस्य के पास चार पहिया वाहन (व्यावसायिक ट्रैक्टर को छोड़कर) हो, कोई सरकारी, अर्द्ध सरकारी या स्वायत्त संस्थान में कार्यरत कर्मचारी हो वे इस योजना के लिए अपात्र माने गए हैं।
गांव-गांव जागरूकता अभियान, हर उचित मूल्य दुकान पर फॉर्म उपलब्ध— खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ब्लॉक स्तर पर उचित मूल्य दुकानदारों की बैठकें कराकर जागरूकता बढ़ा रहा है। जिले में 406 उचित मूल्य दुकान है जिनमें 58 शहरी क्षेत्र और 348 ग्रामीण क्षेत्र में है। जिनमे से 401 पर “गिव-अप अभियान” के बैनर लगाए जा चुके हैं और सभी 406 दुकानों पर नाम हटाने के लिए प्रार्थना पत्र उपलब्ध हैं।
स्वेच्छा से हटे 3 हजार लाभार्थी जिला रसद अधिकारी के अनुसार 3 दिसंबर से 19 फरवरी तक 750 प्रार्थना पत्रों के माध्यम से 750 राशन कार्ड धारकों ने नाम हटवाया है जिससे 3 हजार लोग खाद्य सुरक्षा सूची से बाहर हो चुके हैं।
नाम नहीं हटवाने पर होगी वसूली और कार्रवाई यदि अपात्र परिवार तय सीमा तक अपना नाम सूची से नहीं हटाते हैं तो उनसे 27 रुपये प्रति किलो गेहूं की दर से वसूली की जाएगी। साथ ही खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
कहां करें संपर्क? अपात्र परिवार जिला रसद अधिकारी कार्यालय, एसडीओ कार्यालय या अपने नजदीकी उचित मूल्य दुकान से फॉर्म प्राप्त कर नाम हटवा सकते हैं। प्रशासन ने सभी राशन डीलरों को गिव-अप अभियान का अधिकतम प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए हैं।
प्रशासन की अपील प्रशासन ने अपात्र लाभार्थियों से अपील की है कि वे स्वेच्छा से अपना नाम हटवाकर सरकार की इस योजना को जरूरतमंदों तक पहुंचाने में सहयोग करें।