script‘सर, हम छोटे हैं, अभी पढ़ना है… प्लीज शादी रुकवा दीजिए’ | children themselves called the child helpline and said against child marriage | Patrika News
जयपुर

‘सर, हम छोटे हैं, अभी पढ़ना है… प्लीज शादी रुकवा दीजिए’

पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बाल विवाह के विरुद्ध शिकायतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।

जयपुरMay 24, 2025 / 12:33 pm

Lokendra Sainger

child marriage

फोटो सोर्स- AI

अब्दुल बारी

’सर, हम छोटे हैं, अभी पढ़ना है, घर वाले जबरदस्ती शादी कर रहे हैं, प्लीज आप रुकवा दीजिए।’ कुछ इस तरह के फोन चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर आने लगे हैं, जिनमें बच्चे खुद शिकायत कर बताते हैं कि घर वाले उनकी जबरदस्ती शादी करवा रहे हैं। दरअसल, प्रदेश में बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा के खिलाफ जन जागरूकता रंग ला रही है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बाल विवाह के विरुद्ध शिकायतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि, लोगों में जागरूकता बढऩे से अब ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग अधिक हो रही है। बाल अधिकारिता विभाग ने भी बाल विवाह रोकने के लिए सभी जिलों में जागरूकता अभियान चलाए हैं।
इसके साथ ही स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी आगे आकर बाल विवाह के विरुद्ध जागरूक किया। विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर मनोज आर्या ने बताया कि, करीब 20 प्रतिशत मामलों में नाबालिगों ने खुद या किसी अन्य माध्यम से शिकायत प्रशासन तक पहुंचाई।
जन जागरूकता अभियान के माध्यम से हमारा प्रयास रहता है कि अधिक से अधिक मामले दर्ज किए जाएं। स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी इस साल अच्छा काम किया है और बाल विवाह के विरुद्ध शिकायतें हम तक पहुंचाई हैं।
-दिलबाग सिंह, जॉइंट डायरेक्टर, बाल अधिकारिता विभाग

हमारा मानना है कि बाल विवाह की स्थिति अभी स्थिर है। लेकिन विभागीय आंकड़ों की बात करें तो इस तरह के प्रकरणों में इस साल इजाफा हुआ है, यह अच्छी बात है। इसका मतलब है कि लोग जागरूक हो रहे हैं और बाल विवाह को रोकना चाहते हैं। किशोरियों में भी आत्मविश्वास बढ़ा है। पहले वे डरती थीं, अब वे खुद आगे आकर बाल विवाह का विरोध कर रही हैं।
-डॉ. कृति भारती, बाल अधिकार एक्टिविस्ट एवं डायरेक्टर, सारथी ट्रस्ट

वर्ष 2023-24 में बाल विवाह के कुल 681 प्रकरण दर्ज किए गए, जबकि साल 2024-25 में यह आंकड़ा 893 तक पहुंच गया। जो कि पिछले वर्ष दर्ज प्रकरणों से 30 प्रतिशत अधिक हैं। इनमें से 468 मामलों में समझाइश से विवाह रोके गए, जबकि 191 मामलों में कानूनी कार्रवाई की गई। साथ ही 234 मामलों में सूचना गलत साबित हुई।

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