पैसे बढ़ते रहे… संख्या भी बढ़ती रही वर्ष 2011 में नगर निगम ने श्वानों की संख्या सीमित करने के लिए अभियान शुरू किया था। उस समय बंध्याकरण के लिए 400 रुपए प्रति श्वान दिए जाते थे। बाद में यह राशि बढ़ाकर 600, फिर 819 और 1200 रुपए कर दी गई। फिलहाल ग्रेटर नगर निगम प्रति श्वान 1700 रुपए और हैरिटेज नगर निगम 1460 रुपए दे रहा है।
संख्या सीमित न होने का ये बड़ा कारण पशु प्रबंधन शाखा में तैनात कर्मचारी बंदर और कुत्तों को पकड़ने पर कम ध्यान देते हैं। उनका फोकस अवैध डेयरियों के संचालन पर अधिक रहता है। पूर्व में पशु प्रबंधन शाखा के कुछ कर्मचारी रिश्वत लेते हुए एसीबी के हाथों पकड़े भी जा चुके हैं।
लोग ध्यान दें तो श्वानों को मिले राहत पशु जन्म नियंत्रण नियम-2023 की अधिसूचना जारी कर दी गई है, जिसमें श्वानों को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। लेकिन इन पर अब तक कोई काम शुरू नहीं हुआ है। न तो शहरी सरकारें आगे आई हैं और न ही कॉलोनी की विकास समितियों ने इसमें रुचि दिखाई है। ऐसे में श्वानों के रहन-सहन में कोई बदलाव नहीं आया है।
ये करना था लोगों को – स्थानीय निकायों के साथ मिलकर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को कॉलोनी में श्वानों के लिए एक स्थान चिन्हित करना था, जहां उन्हें भोजन उपलब्ध करवाया जा सके। यदि लोग ऐसा नहीं करते, तो निगम को यह कार्य करना था।
– बंध्याकरण के लिए श्वानों को ले जाने से पूर्व कॉलोनी में सार्वजनिक नोटिस और बैनर लगाने का प्रावधान किया गया है। – जिन मादा श्वानों के बच्चे दो माह के आस-पास हैं, उन्हें बंध्याकरण के लिए नहीं ले जाया जाएगा।
– मृत श्वानों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी भी स्थानीय निकाय की होगी। इसके लिए मशीन स्थापित करने की बात कही गई है।