भारत की जी20 अध्यक्षता की उपलब्धियां
अमिताभ कांत ने बताया कि 2022 एक असाधारण वर्ष था, जब दुनिया ने महामारी के बाद की रिकवरी, जलवायु परिवर्तन, खाद्य और ईंधन संकट और भू-राजनीतिक तनावों जैसी कई चुनौतियों का सामना किया। ऐसे कठिन समय में भारत ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के मंत्र के साथ वैश्विक नेतृत्व की जिम्मेदारी निभाई और विभाजित विश्व को एकजुट किया। उन्होंने बताया कि भारत ने जलवायु कार्रवाई, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और आर्थिक असमानता के मुद्दों पर ठोस समाधान प्रस्तुत किए, जिससे वैश्विक शासन को एक नई दिशा मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता का जिक्र करते हुए कांत ने कहा कि भारत ने दुनिया को एकता और सहयोग का संदेश दिया और जी20 के जरिए एक नई वैश्विक व्यवस्था का निर्माण किया।
बजट में ‘ग्रोथ विद जॉब्स’ पर फोकस
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमिताभ कांत ने भारत के हालिया बजट को सबसे प्रगतिशील बजट बताया। उन्होंने कहा कि यह बजट लॉन्ग-टर्म सस्टेनेबल ग्रोथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और रोजगार सृजन के लिए नए अवसर खोलेगा। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे दौर में हैं, जहां मिडिल क्लास को टैक्स में राहत दी गई है। इस राहत से उत्पादन बढ़ेगा, जिससे ग्रोथ होगी और अधिक नौकरियां उत्पन्न होंगी।
स्टार्टअप और एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा
अमिताभ कांत ने बताया कि यह बजट स्टार्टअप्स, इनोवेशन और एमएसएमई सेक्टर पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि जब स्टार्टअप और छोटे उद्योग फलते-फूलते हैं, तो वे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन करते हैं। टूरिज्म, लेदर, एमएसएमई जैसे क्षेत्रों पर खास ध्यान दिया गया है, क्योंकि ये मैनपावर ड्रिवन सेक्टर हैं। उन्होंने राजस्थान के पर्यटन उद्योग का उदाहरण देते हुए बताया कि एक डायरेक्ट जॉब से 11 इनडायरेक्ट जॉब्स उत्पन्न होते हैं। इसी तरह अन्य सेक्टरों में भी रोजगार बढ़ेंगे।
ग्रेजुएट बेरोजगारी पर चिंता
बेरोजगारी के मुद्दे पर बात करते हुए कांत ने कहा कि हमें ग्रेजुएट अनएम्प्लॉयमेंट पर ध्यान देने की जरूरत है। युवाओं के लिए नीतिगत निर्णय लेना जरूरी है, ताकि वे सही स्किल्स के साथ रोजगार प्राप्त कर सकें।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सराहना
अमिताभ कांत ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐसा मंच है, जहां विचारों का आदान-प्रदान होता है और नीतिगत चर्चाओं को नई दिशा मिलती है। उन्होंने कहा कि यह फेस्टिवल केवल साहित्य ही नहीं, बल्कि नीतिगत विषयों, अर्थव्यवस्था और वैश्विक विकास पर भी गहन चर्चा का मंच बन गया है।