JLF 2025: कोरोना ने सिखाया वैक्सीनेशन में और निवेश की जरूरत- थॉमस जे. बोल्की
Jaipur Literature Festival 2025: सोशल डवलपमेंट विशेषज्ञ वंशिका कांत ने कहा कि कई बड़े संस्थान वैक्सीन ईको सिस्टम तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
विकास जैन जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन ‘वैक्सीनेशन ऑन हेल्थ एंड वैक्सीन्स’ सत्र में श्री श्रीनिवासन और ग्लोबल हेल्थ प्रोग्राम के निदेशक थॉमस जे. बोल्की के बीच चर्चा हुई। बातचीत में बोल्की ने कहा कि लोगों में मिथ है कि वैक्सीन कारोबार आय अर्जित करने का बड़ा जरिया है लेकिन यह सच नहीं है। कोविड-19 या इन्फ्लूएंजा वायरस, महिलाओं के सर्वाइकल कैंसर में एचपीवी वैक्सीन ने आज समाज का परिदृश्य बदल दिया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1800 से पहले अधिक जनसंख्या वाले कई देश मदद के लिए दूसरों पर निर्भर रहते थे। उस समय जीवन प्रत्याशा में यूएस और भारत के बीच सिर्फ 5 वर्ष का अंतर था। लेकिन धीरे-धीरे जब यूएस में पब्लिक हेल्थ सेक्टर के इंफ्रास्ट्रक्चर और रिसर्च में जबरदस्त काम हुआ तो करीब 100 साल बाद दोनों देशों में जीवन प्रत्याशा का अंतर 26 वर्ष तक पहुंच गया। इसके बाद भारत में भी वैक्सीनेशन पर अच्छा काम हुआ। इसी के चलते यहां भी यूएस से औसत आयु का अंतर घटने लगा है।
वैक्सीन ईको सिस्टम की तैयारी
सोशल डवलपमेंट विशेषज्ञ वंशिका कांत ने कहा कि कई बड़े संस्थान वैक्सीन ईको सिस्टम तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं। अगर इसके इतिहास को देखा जाए तो कुछ दशक पहले से इस संबंध में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जा रहे हैं। कोरोना माहमारी ने हमें सिखाया है कि इस क्षेत्र में हमें और निवेश करने की आवश्यकता है। कोरोना महामारी से पहले औसत हेल्थ पोर्टफोलियो 6 प्रतिशत तक था जो महामारी के बाद 15 प्रतिशत तक बढ़ा है।
कई बड़े बैंक भी ऐसे संस्थानों को स्थापित करने के लिए अपनी पूंजी लगा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर कोरोना वैक्सीन ’को-वैक्स’ को तैयार करने में वर्ल्ड बैंक जैसे संस्थानों ने 9 बिलियन यूएस डॉलर का निवेश किया था। बायोमेडिकल इंजीनियर और सीनियर पॉलिसी एडवाइजर गुरु माधवन ने बताया कि वैक्सीन बनाना और उसकी सप्लाई काफी चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए अल्ट्रा कोर चेन सिस्टम की आवश्यकता है। कई जगहों पर वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं होता।