बाल आश्रम संस्थापिका सुमेधा कैलाश ने बताया कि बच्चा जिला बाल कल्याण समिति, गांधी नगर जयपुर को मिला था लेकिन सही जानकारी न दे पाने के कारण उसका परिवार नहीं मिल सका। इसके बाद बच्चे को बाल आश्रम भेजा गया जहां उसे शिक्षा, प्रशिक्षण और पुनर्वास की सुविधाएं दी गईं।
बाल आश्रम के काउंसलर्स ने बच्चे की नियमित काउंसलिंग की और अंततः उसके घर का पता लगाने में सफलता पाई। जब दूरभाष पर उसकी मां से संपर्क हुआ तो वह खुशी से रो पड़ीं और तुरंत बाल आश्रम पहुंचीं। बेटे को सामने पाकर मां की आंखों से आंसू छलक पड़े।
गौरतलब है कि बाल आश्रम पहले भी कई गुमशुदा बच्चों को उनके माता-पिता से मिलाने का कार्य कर चुका है। बाल आश्रम वर्षों से ऐसे गुमशुदा और बंधुआ मजदूरी में फंसे बच्चों को उनका हक दिलाने के लिए काम कर रहा है। यहां न सिर्फ बच्चों को शिक्षा और पुनर्वास दिया जाता है बल्कि उनके भविष्य को सुरक्षित और उज्ज्वल बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं।