राजस्थान की राजधानी जयपुर के जामडोली स्थित बौद्धिक दिव्यांग गृह में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां रहने वाली एक निराश्रित बालिका की मृत्यु के छह दिन बाद भी न तो उसका पोस्टमार्टम हुआ और न ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की गई। इस गृह में निराश्रित बच्चे रहते हैं। जिनके अभिभावक दिव्यांग गृह के अधीक्षक ही होते हैं।
यह बालिका पिछले 9 साल से इस गृह में रह रही थी, इसके माता-पिता नहीं हैं। बीते 33 दिनों से निमोनिया सहित अन्य बीमारियों के चलते एसएमएस अस्पताल में भर्ती थी। 29 अप्रैल को उसकी मृत्यु हो गई थी। बावजूद इसके, 6 मई तक जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जबकि इससे पहले दिव्यांग गृह में हुई इस तरह की मौतों में 1 से 3 दिनों के भीतर अंतिम प्रक्रिया पूरी कर दी जाती थी।
इतनी देरी कभी नहीं हुई
ऐसे दर्जनों मामले इस दिव्यांग गृह में हुए हैं, जो एक से दो दिन में निपटा लिए गए। यदि बच्चे के माता-पिता हैं तो उन्हें तत्काल बुलाया जाता है। यदि नहीं हैं तो सीडब्लयूसी की जानकारी में देकर एसडीएम की निगरानी में पोस्टमार्टम कराया जाता है। इन बच्चों के मामलों में अधीक्षक पूरी तरह से सभी डिसीजन लेने में सक्षम होते हैं। कभी भी इतने दिन शव को नहीं रखा गया। प्रतिभा भटनागर, फाउंडर, सपोर्ट फाउंडेशन फॉर ऑटिज्म एंड डवलपमेंटल डिसेबिलिटीज
क्या बोले अधिकारी
गृह की अधीक्षक ललिता खींची ने बताया कि बालिका की मौत की सूचना जामडोली थाने को दे दी गई है और सोमवार को पोस्टमार्टम कराया जाएगा। मौत के बाद भी अंत्येष्टि में हुई देरी पर अधिकारी ने चुप्पी साध ली।