यह राशि बारां नगरपालिका की सीमा और वर्ष 2019-20 की डीएलसी दरों के आधार पर तय की गई है। अटरू तहसील के सात गांवों की भूमि, मूल भू-अर्जन प्रक्रिया से बाहर रह गई थी क्योंकि खसरों में तरमीम नहीं हो सकी थी। बाद में दिसंबर 2020 में भूमि की तरमीम पूरी होने पर पुनः भू-अर्जन प्रक्रिया प्रारंभ की गई, लेकिन इस दौरान अटरू नगरपालिका का गठन हो जाने से मुआवजा राशि का पुनर्निर्धारण नगरीय सीमा के अनुसार किया गया।
इस बदलाव के चलते उत्पन्न अंतर को समायोजित करने के लिए विशेष अनुग्रह राशि का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा गया, जिसे वित्त विभाग ने 4 जून 2025 को स्वीकृति दी। अब प्रभावितों को शीघ्र मुआवजा मिलेगा और नहर निर्माण का कार्य तेजी से आगे बढ़ेगा।
जल संसाधन मंत्री रावत ने कहा कि “प्रदेश में समयबद्ध जल संरचनाओं का विकास और प्रभावितों को न्याय दिलाना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह निर्णय परियोजना से जुड़े पुनर्वास, भू-अर्जन और जनहित के सरोकारों को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।