कांग्रेस चार सीटों पर तो तीसरे नंबर पर रही, वहीं खींवसर में कांग्रेस की रतन चौधरी की जमानत जब्त हो गई है। भाजपा की यह तीन दशक में उपचुनावों में सबसे बड़ी जीत बताई जा रही है।
दौसा में भाजपा ने केबिनेट मंत्री किरोडी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा, कांग्रेस ने झुंझुनूं में सांसद बृजेन्द्र ओला के पुत्र अमित ओला, रामगढ़ में दिवंगत विधायक जुबेर खान के पुत्र आर्यन जुबेर खान और आरएलपी सुप्रीमो व सांसद हनुमान बेनीवाल ने खींवसर में पत्नी कनिका बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन यहां जनता ने राजनीतिक दलों के परिवार कार्ड को नकार दिया और शिकस्त दी।
आरएलपी का गढ़ ढहा, बीएपी को राहत
उपचुनाव में सबसे बड़ा झटका आरएलपी को लगा है। आरएलपी अपने गढ़ खींवसर में ही साख नहीं बचा सकी। पार्टी की कनिका बेनीवाल को 13 से ज्यादा वोटों से शिकस्त मिली है। इससे लंबे समय बाद विधानसभा में आरएलपी का अब कोई सदस्य नहीं रहा। बीएपी के प्रभाव वाली चौरासी सीट पर पार्टी के अनिल कुमार कटारा 24 हजार से अधिक मतों से जीते हैं।
कांग्रेस को बड़ा झटका
लोकसभा की जीत से उत्साहित कांग्रेस को भी करारी शिकस्त मिली है। कांग्रेस सिर्फ दौसा सीट पर ही जीत पाई। यहां पार्टी के दीनदयाल 2300 वोटों से जीते हैं। जबकि पिछले चुनाव में इन सात सीटों में से कांग्रेस 4 सीटों पर बाजी मारी थी।