आंखें खोलती है यह चंद रिपोर्ट नहीं …
आंखें खोलती है यह चंद रिपोर्ट नहीं है, बल्कि उस डर और घुटन की सच्चाई है जो हर रोज महिलाओं को झेलनी पड़ती है। तमाम महानगरों, शहरों में छेड़छाड़ ऐसा मुद्दा है जो हम सभी के बीच हर दिन घटित होता है लेकिन हम अक्सर इसे नजरअंदाज करते हैं। जब सवाल उठाने की कोशिश की जाती है तो समाज और जिम्मेदारों को खामोशी हमें और भी सख्त ताले में बंद कर देती है। पत्रिका ने इन स्टिंग ऑपरेशन के जरिए उन दरिंदों की पहचान की जो छिपकर महिलाओं का शिकार करते हैं, जबकि समाज खुद के सभ्य होने का ढोंग करता है। जयपुर : रात काफी हो गई है…कहो तो हम छोड़ दें
जयपुर। रात 11 से 11.15 बजे। स्थान-मालवीय नगर। रिपोर्टर रात करीब 11 बजे ऑफिस से निकली। मालवीय नगर अपेक्स सर्किल पर दो युवक स्पोर्ट्स बाइक पर आस-पास चक्कर लगाने लगे। रिपोर्टर सहम गई। सीटी मारने के साथ ही सिगरेट का धुआं युवती की तरफ उड़ाते हुए युवक जगतपुरा की तरफ भाग गए। युवती ने 1090 पर फोन किया, लेकिन जवाब नहीं मिला। युवती जाने लगी तो फिर दो बाइक सवार आए। अश्लील अंदाज में बोले ‘रात काफी हो गई है, कहो तो हम छोड़ दें।’ युवती ने पुलिस की धमकी दी तो युवक भाग निकले। राजकॉप ऐप पर मदद मांगी तो दो मिनट में कंट्रोल रूम से फोन आया। करीब 10 मिनट में पीसीआर पहुंच गई। हेड कांस्टेबल रामकुमार मीणा ने रिपोर्टर से घटना की जानकारी लेकर सुरक्षा का आश्वासन दिया। हालांकि पीसीआर में महिला कांस्टेबल नहीं थी।
जोधपुर : ग्रुप सेल्फी के बहाने सेल्फी भी ली
जोधपुर शाम 4 बजे। स्थान-तूरजी का झालरा। पर्यटकों का पसंदीदा स्पॉट होने के कारण व्यस्ततम स्थान है तूरजी का झालरा। यहां पत्रिका रिपोर्टर झालरे की सीढ़ियों पर अकेली बैठी। तभी मनचले युवकों का समूह पीछे आकर बैठ गया। सिगरेट के धुएं के छल्ले उड़ाने लगा। हद तो तब हो गई जब एक युवक पास में आकर घूरने लगा। उनमें से कुछ युवक दूसरी लड़कियों को छेड़ने लगे। उनके फोटो शूट में जबरन घुसने लगे। धीरे-धीरे उनकी गुस्ताखी और बढ़ गई। भद्दे इशारे तक करने लगे। दुस्साहस तो देखिए उन्होंने एक युवती से फोन नंबर भी मांगा। अकेली लड़की देखकर फब्तियां कसते हैं, बल्कि रूम-गेस्ट हाउस उपलब्ध करवाने के बहाने अभद्रता से भी बाज नहीं आते। महिला रिपोर्टर की सुरक्षा के लिए खड़े टीम के अन्य साथी पास पहुंचे तो युवक वहां से चले गए।
विशेषज्ञ की बात : महिलाओं के प्रति मानसिकता बदलनी होगी
महिलाएं आगे बढ़ रही हैं लेकिन अभी भी उनके प्रति समाज की मानसिकता नहीं बदली है। सार्वजनिक स्थल पर कोई महिला किसी पुरुष से हंसकर बात करें या चाय पीने चली जाए तो उसे गलत ढंग से लिया जाता है। महिलाएं इस बारे में सजग रहे और कार्यस्थल पर महिलाएं अनावश्यक पुरुषों से नजदीकियां ना बढ़े। महिलाएं समाज का दृष्टिकोण बदलने की परिवार से शुरुआत करें। ऑफिस में महिलाएं मुखिया हो तो वह कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति सोच बदलने की पहल करें और सभी अधिकारी कर्मचारियों को यह समझने की कोशिश करें कि महिलाओं के प्रति मानसिकता बदलनी होगी।
संगीता शर्मा, अधिवक्ता राजस्थान हाईकोर्ट