इस तरह हो रहे परेशान
वैशाली नगर निवासी अभिभावक की बेटी एक निजी स्कूल में कक्षा छठवीं में पढ़ रही है। उनकी बेटी का आरटीई में चयन सत्र 2016-17 में हुआ था। अब स्कूल की ओर से आरटीई के प्रवेश को निरस्त बताकर फीस की मांग की जा रही है। पीड़ित अभिभावक ने शिकायत दी है।सवालों के घेरे में पोर्टल
आरटीई में प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और सुनवाई के लिए सरकार ने नया पोर्टल शुरू किया है, लेकिन पोर्टल पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अभिभावक संगठनों का तर्क है कि अगर प्रवेश प्रक्रिया से पहले पोर्टल शुरू नहीं किया तो हर वर्ष की तरह अभिभावक परेशान होंगे।निजी स्कूलों की मनमानी बढ़ी
निजी स्कूलों की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि आरटीई में प्रवेशित बच्चों को भी निजी स्कूल से बाहर कर देते हैं। दरअसल, आरटीई के तहत प्रवेश निरस्त बताकर बच्चों को फीस देने का दबाव डाला जाता है। ऐसे मामले भी शहर में आए हैं। अभिभावक चिंतित हैं। परेशान अभिभावकों ने जिला शिक्षा अधिकारी के यहां शिकायत दर्ज कराई है। ये बच्चे वे हैं जिनका प्रवेश पहली कक्षा में आरटीई के तहत हुआ था और ये बच्चे अब पांचवीं और छठवीं कक्षा में आ चुके हैं। जबकि आरटीई एक्ट के तहत बच्चों को आठवीं तक निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान है।Good News : राजस्थान के लिए 2 बड़ी खुशखबर, क्रिटिकल थिंकिंग में राजस्थान दूसरे स्थान पर, पहली खबर है और जोरदार, जानें
ताकि समय से जरूरतमंदों को प्रवेश मिल सके
शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों को एक बैठक में विवाद का निपटारा करना चाहिए। हर साल निजी स्कूल, अभिभावकों के विवाद सामने आते हैं। सरकार अगर पोर्टल बना रही है तो इसमें आने वाली परिवेदनाओं का समाधान भी जरूरी है, ताकि समय से जरूरतमंदों को प्रवेश मिल सके।राजेन्द्र शर्मा हंस, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी जयपुर
निजी स्कूलों की ढेरों शिकायत शिक्षा विभाग में लंबित
निजी स्कूलों की ढेरों शिकायत शिक्षा विभाग में लंबित हैं। स्कूलों की मान्यता खत्म करने तक के प्रस्ताव विभाग को भेजे गए, लेकिन हर साल स्कूलों की मनमानी के आगे विभाग झुक जाता है। जरूरतमंद अभिभावकों की आवाज को दबा दिया जाता है।अभिषेक जैन, प्रवक्ता संयुक्त अभिभावक संघ