इससे साफ है कि राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल में अंक तालिकाओं का फर्जीवाड़ा बीते पांच साल से चल रहा है। इस पूरे खेल में और भी कर्मचारी-अधिकारी शामिल हैं। इसको देखते हुए ओपन स्कूल ने सत्र 2024-25 के 10 वीं और 12 वीं के उत्तीर्ण करीब एक लाख विद्यार्थियों की मार्कशीट की प्रिटिंग रुकवा दी है। इतना ही नहीं, डुप्लीकेट मार्कशीट को भी जारी करने से रोक दिया गया है।
डीओआईटी रिकॉर्ड दे तो आगे बढ़े जांच
बजाज नगर थाने में मामला दर्ज होने के बाद राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल ने डीओआइटी से बीते सात साल का रिकॉर्ड मांगा है। लेकिन डीओआइटी की ओर से अभी तक पूरा रिकॉर्ड नहीं दिया गया है। इसके चलते ओपन स्कूल ने पुलिस को भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया है। इसके अलावा 15 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग ने मामले में जांच करने के लिए कमेटी का गठन तक नहीं किया है।
अंक वहीं रहते, नाम-माता-पिता बदल देते
पांच साल पहले संविदाकर्मी को डीओआइटी से अंक तालिकाओं में संशोधन के अधिकारी दिलवाए गए थे। हाल ही मामला उजागर होने के बाद पाया गया कि इसी सविदाकर्मी ने अच्छे अंक की मार्कशीट में नाम और पता बदल दिया और मार्कशीट दूसरे को जारी की जा रही थी। इससे साफ है कि पांच साल से अंकतालिकाओं में फर्जीवाड़ा कर संशोधन का खेल चल रहा था।
यह है पूरा मामला
राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल की मार्कशीट में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था। इस संबंध में सहायक निदेशक उमेश कुमार शर्मा ने बजाज नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। रिपोर्ट में बताया कि दीपक नाम के व्यक्ति के द्वारा राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल की परीक्षा पास की गई थी। उसकी मार्कशीट कम्प्यूटर सिस्टम में अपलोड थी। राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के अकादमी विभाग में संविदा पर लगे कार्मिक राकेश कुमार शर्मा ने एसएसओआइडी से कम्प्यूटर सिस्टम से उक्त मार्कशीट अपलोड हुई। उक्त मार्कशीट में कांट-छांट कर शालनी नाम से दूसरी मार्कशीट बना दी। इस कृत्य से सिस्टम में दीपक की मार्कशीट विलोपित हो गई।