पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243-ई में स्पष्ट उल्लेख है कि पंचायतीराज चुनाव हर पांच वर्ष में अनिवार्य रूप से कराए जाएं। उन्होंने गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज शेख और पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग बनाम पंजाब सरकार जैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यह स्पष्ट रूप से अनिवार्यता को दर्शाते हैं, लेकिन भाजपा सरकार हार के डर से संवैधानिक प्रावधानों का खुला उल्लंघन कर रही है।
वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि राज्य में गंभीर संवैधानिक संकट की स्थिति बनी हुई है। भाजपा सरकार ने ‘एक राज्य, एक चुनाव’ की आड़ लेकर पंचायत और निकाय चुनावों को टाल दिया है। डोटासरा ने राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वयं आयुक्त ने सार्वजनिक मंच से स्वीकार किया है कि “यह सरकार चुनाव नहीं कराना चाहती”, जो भाजपा की मंशा पर सवाल खड़े करता है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि परिसीमन प्रक्रिया की तारीखें बार-बार बदली जा रही हैं और ओबीसी आयोग का गठन सत्ता में आने के डेढ़ साल बाद किया गया, ताकि चुनाव और टाले जा सकें। डोटासरा ने कहा कि यह सब सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण है, ताकि अफसरशाही के जरिए शासन पर नियंत्रण बनाए रखा जा सके।
दोनों नेताओं ने इसे लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि जनता को उसके अधिकार से वंचित करना असंवैधानिक है। कांग्रेस ने मांग की है कि भाजपा सरकार तत्काल चुनाव की तारीख घोषित करे और लोकतंत्र की गरिमा बहाल करे।