scriptराजस्थान में सुनवाई में लम्बा समय भी न्याय में देरी का कारण | Rajasthan Reason for Delay in Justice Long Time Taken in Hearing Patrika Maha Survey | Patrika News
जयपुर

राजस्थान में सुनवाई में लम्बा समय भी न्याय में देरी का कारण

Rajasthan News : पुलिस कार्रवाई में देरी के साथ ही अदालतों में समय पर सुनवाई पूरी नहीं होना महिलाओं को न्याय मिलने में देरी का भी मुख्य कारण है। पत्रिका महासर्वे में 68 फीसद ने कहा, त्वरित और सख्त कार्रवाई पर ध्यान देना जरूरी है। जानें और क्या है इस पत्रिका महासर्वे में।

जयपुरFeb 07, 2025 / 07:56 am

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan Reason for Delay in Justice Long Time Taken in Hearing Patrika Maha Survey
Rajasthan News : पुलिस कार्रवाई में देरी के साथ ही अदालतों में समय पर सुनवाई पूरी नहीं होना महिलाओं को न्याय मिलने में देरी का भी मुख्य कारण है। कई बार पुलिस के रिपोर्ट दर्ज नहीं करने की शिकायतें भी आती हैं। कई बार पुलिस समय पर जांच नहीं कर पाती है तो कई बार आरोपी पकड़े नहीं जाते।

अधीनस्थ अदालतों में 18 लाख 21 हजार 915 आपराधिक मामले लंबित

अदालतों में मुकदमों के बढ़ते अंबार के कारण भी न्याय मिलने में देरी होती है। प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में 18 लाख 21 हजार 915 आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर है। इन लंबित मामलों में से 77 प्रतिशत से अधिक मामले एक साल से अधिक पुराने हैं। इनमें से करीब सवा तीन प्रतिशत मामले तो 10 साल से भी अधिक पुराने हैं।

केस 01… शादी में धोखा, कोर्ट के लगाने पड़े चक्कर

वर्ष 2021 में शादी हुई। घर वालों ने अपनी हैसियत से ज्यादा दहेज दिया। घर में पैसे की कमी नही थी। लिहाजा शादी दो करोड़ तक पहुंच गई। शादी के तीन दिन बाद जब पति के किन्नर होने का पता चला तो पैरो तले जमीन खिसक गई। बेटे के किन्नर होने के बारे में पूरे परिवार को जानकारी थी। आखिर वह घर आ गई। पति से अलग होने में तीन चार साल लग गए। कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़े।
यह भी पढ़ें

राजस्थान में झूठे केस के दवाब में दब जाते हैं अपराध के सही मामले

सबूतों में कमी के कारण पीड़िता को हतोत्साहित नहीं करें

अपराध विज्ञान अपराध के कारणों और परिणामों का विश्लेषण करने पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य अपराधों में कमी लाना है। नए क्रिमिनल क़ानूनों में महिलाओं से जुड़े मामलों को लेकर किया गया बदलाव बड़ा क़दम है, लेकिन पुलिस व न्यायपालिका दोनों को संवेदनशील होकर कार्य करने की आवश्यकता है। अधूरे जांच या सबूतों में महत्वहीन कमियों के कारण पीड़िता को हतोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। त्वरित न्याय के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त नहीं है, इसे सरकार को इसे मजबूत बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। इन मामलों को सुनने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें हों और हाईकोर्ट तक सभी अदालतों में प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई हो।
प्रो. डा. रितु गुप्ता, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी

यह भी पढ़ें

राजस्थान में सार्वजनिक स्थलों पर लड़कियां और महिलाएं मिलीं अनसेफ, कदम-कदम पर घूरती हैंं गंदी नजरें

पत्रिका महासर्वे : 68 फीसद ने कहा, त्वरित और सख्त कार्रवाई पर ध्यान देना जरूरी

न्याय में देरी : महिला सुरक्षा के मुद्दे से जुड़ी बड़ी चिंता
पत्रिका महासर्वे में यह भी सामने आया कि बड़ी संख्या में लोगों को कानूनों और अदालती प्रक्रियाओं की सीमित जानकारी है।
1- पुलिस में शिकायत दर्ज करवाना कितना आसान
3.9 फीसद – मुझे नहीं पता
12.7 फीसद- हां
13.1 फीसद – पुलिस पर भरोसा
39.6 फीसद – कुछ हद तक

2- आपको सम्बंधित किन कानूनों की जानकारी है?
22.6 फीसद – अदालती प्रक्रिया की जानकारी
27.6 फीसद – जानकारी नहीं
32.4 फीसद – साइबर क्राइम से जुड़े कानून (मल्टीपल चॉइस)
35.4 फीसद – संविधान प्रदत्त अधिकार
51.7 फीसद – कानूनी अधिकार
3- महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में पुलिस की भूमिका/कार्रवाई में ध्यान देने की जरूरत?
68.4 फीसद – त्वरित और सख्त कार्रवाई।
59.1 फीसद – गोपनीयता बनाए रखना।
52.3 फीसद – पीड़िता से संवेदनशीलता और सहानुभूति।
51.7 फीसद – हैल्पलाइन-सहायता सेवाओं को सुलभ व प्रभावी बनाना।
47.0 फीसद – अदालती प्रक्रियाओं का निष्पक्षता से पालन।
45.9 फीसद – पुख्ता पुलिस गश्त और सार्वजनिक सुरक्षा।
35.3 फीसद – पुलिसकर्मियों में लैंगिक संवेदनशीलता बढ़ाना।
34.8 फीसद – सामुदायिक संवाद और भरोसा बढ़ाना।

Hindi News / Jaipur / राजस्थान में सुनवाई में लम्बा समय भी न्याय में देरी का कारण

ट्रेंडिंग वीडियो